राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। कलेक्ट्रेट की सुरक्षा को लेकर जिलाधिकारी को सामने आना पड़ा है। जिलाधिकारी ने पुलिस आयुक्त के साथ ही गृह विभाग और मंडलायुक्त को पत्र भेज कर कलेक्ट्रेट की सुरक्षा की गुहार लगाई है। कमिश्नरी व्यवस्था लागू होने के बाद कलेक्ट्रेट से चौकी और पुलिस कर्मियों को हटा लिया गया था। सबसे पहले 14 फरवरी के अंक में इसका खुलासा ‘हिन्दुस्तान ने किया था।
कमिश्नरी व्यवस्था लागू होने के बाद इधर बीते सप्ताह कलेक्ट्रेट से अस्थाई चौकी और पुलिस सुरक्षा को हटा दिया गया था। इस कार्रवाई से कलेक्ट्रेट कर्मचारी ही नहीं वकील भी बहुत नाराज थे। उनका तर्क था कि राजस्व से जुड़े संवेदनशील मामले यहां सुने जाते हैं। आपस में लड़ाई-झगड़े की आशंका बनी रहती है। कई बार तो कर्मचारियों पर हमला हो चुका है। इसके बावजूद सुरक्षा को हटा लिया गया।
जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश की ओर से लिखे गए पत्र में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा न्यायालयों की सुरक्षा को लेकर समय-समय पर जारी किए जाने वाले दिशा निर्देशों की आड़ लेकर सुरक्षा की मांग की है। इस पत्र में जिलाधिकारी ने कलेक्ट्रेट के महत्व को दर्शाते हुए कहा कि यहां 12 न्यायालय हैं। इसमें फौजदारी व राजस्व से जुड़े जटिल व गंभीर मुकदमों की सुनवाई होती है। सरफेसी, कर्मकार, लोक दायित्व बीमा एक्ट से जुड़े मुकदमें भी सुने जाते हैं। इन मामलों में पक्षकारों के बीच तनाव भी होता है। जन सुनवाई के लिए भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इससे पक्ष व विपक्ष रहने के कारण शांति भंग की आशंका बनी रहती है। ऐसे तर्कों के साथ जिलाधिकारी ने कलेक्ट्रेट में सुरक्षा की मांग की है। पत्र तो पुलिस आयुक्त के नाम है लेकिन इसकी कॉपी गृह विभाग और मंडलायुक्त को भी भेजी है।