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फलपट्टी क्षेत्र में फैक्ट्री के जहरीले धुएं से जन जीवन व फसलें हो रहीं नष्ट

 शिकायतों के बाद भी लगातार जहरीला धुँआ उड़ा रही फ्लोर मिल

– फैक्ट्री के काले जहरीले धुएं से लोगों में पनप रही सैकड़ों बीमारियां

बीकेटी/लखनऊ।प्रदूषण इन्सानी सेहत के लिये एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। उसके बहुत से कारण हैं। हवा में प्रदूषण का एक कारण कुदरती जरिया है उड़ती हुई धूल। कारखानों के परिचालन से अनेक किस्म के हानिकारक कण हवा में दाखिल हो जाते हैं, जिनसे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता रहता है। मील भट्टों की चिमनिया से निकलने वाली राख जब हवा में दाखिल होती है तो प्रदूषण फैलाती है। दूसरी सबसे बड़ी वजह आबादी का बढ़ना और लोगों का खाने-पीने और आने-जाने के लिये साधन उपलब्ध करवाना है जिससे उद्योगों का बढ़ना, थर्मल पावर प्लाण्ट का बढ़ना, कारों की रफ्तार का बढ़ना, प्राकृतिक पर्यावरण में बदलाव का होना है।
बख्शी का तालाब क्षेत्र अंतर्गत कुंभरामा रोड मिश्रीपुर धामामऊ मोहम्मद पुर सरैया ग्रामीण बस्ती के बीच कई वर्षों से लगातार धड़ल्ले से फलपट्टी को अनदेखी करते हुए फैक्ट्रियों का संचालन जोरों पर है।मील व फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं के साथ केमिकल युक्त दूषित जहरीले पानी से जहां क्षेत्र में आस-पास के गांव में बीमारियों को बढ़ावा दे रहा क्षेत्र में टीवी,अस्थमा,ब्रोंकाइटिस डायरिया,रूबेला जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे इतना ही नहीं गर्भ में पलने वाले बच्चों को भी इसका खतरनाक असर देखा जा रहा है। चिमनी से निकलने वाले जहरीले धुएं से क्षेत्र में फलदार वृक्षों का फसलों को दूषित प्रभाव पड़ रहा है। वायु प्रदूषण के चलते फसल उत्पाद पर असर के साथ मानव जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ रहा। जबकि प्रशासन की तरफ से फलपट्टी क्षेत्र में फैक्ट्रियों अधिष्ठान फलपट्टी के तहत कई वर्ष पूर्व से ही रोक लगाई गई है।

आबादी बढ़ने से प्रदूषण भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण चाहे पानी की वजह से हो या हवा की वजह से, इसने इन्सान के स्वास्थ्य को तबाह कर दिया है। इस प्रदूषण की वजह से किसी को कैन्सर है तो किसी को शुगर या हृदय रोग। दमा अस्थमा सहित  महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चों को फैल रहा कुपोषण जब आबादी बढ़ती है तो यह आवश्यक है कि मानवीय जरूरतें पूरी की जायें।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूबे में एनजीटी लगातार शिकंजा कसे हुए है लेकिन फिर भी जिम्मेदार अपनी आदत से बज नहीं आ रहे हैं। शहर के बीकेटी क्षेत्र में फैक्ट्रियों व मील से निकल रहे धुएं से पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही गर्भवती महिलाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ रहे हैं। वायु प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है जिसके कारण रोज-ब-रोज मानव स्वास्थ्य खराब होता चला जा रहा है और पर्यावरण के ऊपर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यह प्रदूषण ओजोन की परत को पतला करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है, जिसकी वजह से जैसे ही आप घर के बाहर कदम रखेंगे आप महसूस करेंगे कि हवा किस कदर प्रदूषित हो चुकी है। धुएँ के बादलों को बसों, स्कूटरों, कारों, कारखानों की चिमनियों से निकलता हुआ देख सकते हैं। थर्मल पावर प्लान्ट्स से निकलने वाली फ्लाई ऐश (हवा में बिखरे राख के कण) किस कदर हवा को प्रदूषित कर रहा है, कारों की गति रोड पर किस कदर प्रदूषण को बढ़ा रही है। सिगरेट का धुआँ भी हवा को प्रदूषित करने में पीछे नहीं है।

वायु प्रदूषण के कारण
जहाँ पर वायु को प्रदूषित करने वाले प्रदूषक ज्यादा हो जाते हैं, वहाँ पर आँखों में जलन, छाती में जकड़न और खाँसी आना एक आम बात है। कुछ लोग इसको महसूस करते हैं और कुछ लोग इसको महसूस नहीं करते लेकिन इसकी वजह से साँस फूलने लगती है। अन्जायना (एक हृदयरोग) या अस्थमा (फेफड़ों का एक रोग), या अचानक सेहत खराब होना भी वायु प्रदूषण की निशानी है। जैसे-जैसे वायु में प्रदूषण खत्म होने लगता है स्वास्थ्य ठीक हो जाता है। कुछ लोग बहुत ही नाजुक होते हैं जिनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत तेज और जल्दी हो जाता है और कुछ लोगों पर अधिक देर से होता है। बच्चे, बड़ों की तुलना में अधिक नाजुक होते हैं इसलिये उनके ऊपर वायु प्रदूषण का प्रभाव अधिक पड़ता है। और वो बीमार पड़ जाते हैं। जिसकी वजह से बच्चों में वरम और ब्रोंकाइएंड  दमा अस्त्थिमाा  कुपोषत त जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं। अधिक वायु प्रदूषण के समय बच्चों को घरों में ही रखना चाहिए, जिससे उनको वायु प्रदूषण से बचाया जा सके।

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