राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान गोरखपुर के लिए कैबिनेट ने 23436.62 लाख रुपये की योजना को मंजूरी दे दी। पिछले साल नवंबर में हुई व्यय वित्त समिति की बैठक में प्राणि उद्यान के विकास के लिए पुनरीक्षित लागत 23436.62 लाख रुपये की योजना बनाई गई। इसमें कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इस तरह योजना की लागत 200 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इसीलिए पुनरीक्षित योजना को कैबिनेट से मंजूरी ली गई।
121 एकड़ में बनेगा गोरखपुर का प्राणि उद्यान
प्राणि उद्यानों की स्थापना का उद्देश्य वन्य जीवों का संरक्षण एवं संवर्द्धन किया जाना है। उत्तर प्रदेश में दो प्राणि उद्यान क्रमशः लखनऊ एवं कानपुर में स्थापित है। शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान गोरखपुर लगभग 121.34 एकड़ क्षेत्रफल में प्रस्तावित है। इस प्राणि उद्यान की स्थापना होने से देश-प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न होगी तथा जनपद गोरखपुर की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन क्षेत्र में पहचान स्थापित होगी। पर्यटकों का आवागमन बढ़ने से क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे तथा इस क्षेत्र का पर्यटक स्थल के रूप में विकास होगा।
प्रयागराज में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनेगा
कैबिनेट ने प्रयागराज के बहादुरपुर ब्लाक के तहत ग्राम कोटवा में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाए जाने के लिए पुराने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में स्थित भवनों के ध्वस्तीकरण का निर्णय लिया है। इन भवनों के ध्वस्तीकरण के पश्चात भवनों के मूल्य में से मलबे के निपटारे से प्राप्त धनराशि को समायोजित करते हुए अनुमानित कुल धनराशि 27 लाख 68 हजार रुपये को बट्टे खाते में डाले जाने की अनुमति प्रदान की गई है। अब सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, कोटवा का भवन निर्माण किया जाएगा।
पीजीआई में बनेगा 200 बेड का छात्रावास
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में मेडिकल टेक्नालॉजी के छात्रों हेतु 200 बेड छात्रावास बनेगा। यह छह मंजिला होगा। इसमें फाल्स सीलिंग का खास प्रयोग होगा। इसका निर्माण राजकीय निर्माण निगम कराएगा। इसकी लागत अभी 1215.21 लाख रुपए निकाली गई है। वर्तमान में यहां 60 छात्रों के रहने की व्यवस्था है।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय का नाम बदला
उत्तर प्रदेश जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट में विकलांग की जगह दिव्यांग शब्द इस्तेमाल होगा। इससे संबंधित विधेयक के मसौदे को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इसके अलावा, विश्वविद्यालय के अधिनियम में जहां भी ‘विकलांग शब्द का उल्लेख किया गया है, उस स्थान पर ‘विकलांग शब्द की जगह ‘दिव्यांग शब्द पढ़ा व माना जाएगा। यही नहीं यह विश्वविद्यालय अब राज्य सरकार के किसी भी निगम या उपक्रम से सहायता, अनुदान या वित्तीय स्वीकृति लेने का हकदार होगा। यह विश्वविद्यालय अब तक आईटी विभाग देखता था। अब यह दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के नियंत्रण में होगा।