सरकारी अस्पतालों में अब बेटियों का जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मनाएगी योगी सरकार
सरकारी अस्पताल में पैदा हुई कन्याओं और उनकी मां को गिफ्ट से भी नवाजा जाएगा
1 जनवरी से 20 जनवरी तक जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या के बराबर वृक्षारोपण कार्य भी किया जाएगा
चकरनगर-इटावा (डॉ0एस.बी.एस. चौहान) : उत्तर प्रदेश में 22 जनवरी को सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाली बेटियों का जन्मदिवस मनाए जाने का फैसला लिया गया है। जिसके तहत योगी सरकार की ओर से मां व बेटी को उपहार भी दिए जाएंगे। मिशन शक्ति के तहत ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ मुहिम को बढ़ावा देते हुए यूपी के जनपदों में एक जनवरी से 20 जनवरी तक जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या के बराबर वृक्षारोपण का कार्य भी किया जाएगा।
सरकार की ओर से मिली जानकारी के अनुसार वृक्षों के संरक्षण का दायित्व पुरूषों को सौंपा जाएगा। बालिकाओं के निम्न लिंगानुपात वाले ब्लॉकों की सभी ग्राम सभाओं से डिजिटल एनालॉग गुड्डा-गुड्डी बोर्ड की शुरूआत की जाएगी। इसका क्रियान्वन करते हुए समस्त ग्राम पंचायतों में छह माह के अंदर ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के साथ-साथ ग्राम पंचायत विकास योजनाओं में भी इसे शामिल किया जाएगा।
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उत्तरप्रदेश में बेटियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए अभियान के जरिए पाठशला कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसके तहत उन बालिकाओं और महिलाओं की काउंसलिंग की जाएगी जो विभिन्न प्रशासनिक सेवाओं जैसे पुलिस, फौज, एयरफोर्स समेत मेडिकल, इंजीनियरिंग व उद्योग जगत में आगे बढ़ने का सपना देख रही हैं।
60 वर्षीय रामवती शास्त्री “नेताजी” बतातीं हैं कि बाबा योगी आदित्यनाथ के द्वारा महिला सशक्तिकरण पर बल दिया जा रहा है वह वाकई एक सराहनीय कदम है। इससे इस शासन में महिलाओं को जो शक्ति मिली है वह वाकई एक ऐतिहासिक है। महिलाएं पहले यह दवे पिशे बेजुबान की स्थिति में रहती थी और उसकी मुसीबत को कहीं कोई सुनने वाला नहीं था अब सरकार ने इसके लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाकर महिला सशक्तिकरण पर जो बल दिया है उसके लिए बाबा योगी और मोदी दोनों ही तारीफ के काबिल है। थाना परिसर में महिला डेस्क का कार्यक्रम भी विशेष सराहनीय है कि अब महिला आपबीती किसी भी समस्या को बताने में, सुनाने में महिला अधिकारी के सामने किसी प्रकार की अड़चन महसूस नहीं करेगी पहले होता तो यह था कि पीडित महिला जब थाने पहुंचती थी तो पुरुष अफसर के सामने आप बीती बताने में भी शर्मिंदगी महसूस कर घटना का सत्य अनावरण नहीं हो पाता था अब इस राहत के लिए महिलाओं ने अपनी शक्ति का एहसास किया है।
30 वर्षीय विमला देवी बतातीं हैं कि एक वो जमाना था कि लड़की को लोग अभिशाप के रूप में देखते थे पर आज लोग इच्छाएं करते हैं कि हमारे एक बच्ची पैदा हो उसकी हम परिवरिश करें तो यहां पर बच्ची से चाहत नहीं है पर शासन के द्वारा दी जा रही सुविधाओं को पल्लवित देखकर लोगों की इच्छाएं लड़कों के बजाय लड़कियों की तरफ उनके रखरखाव उनके पढ़ने लिखने के संसाधनों से लेकर उन्हें सर्विस योग्य बनाने तक की हिम्मत महिला और पुरुष जुटाने लगे हैं पर यह सब महिला सशक्तिकरण के साथ जुड़ा देखना भी कोई अतिशयोक्ति न होगी।