डेस्क : सर सैयद डे पर मुस्लिम बेदारी कारवां की ओर से 17 अक्टूबर की रात खिरमा पथरा हाईस्कूल में अंतरराष्ट्रीय मुशायरे का आयोजन किया गया। उद्घाटन कांगेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद ने किया। ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवां के अध्यक्ष नजरे आलम की अध्यक्षता तथा उरूशा अरशी (कोलकाता) के संचालन में कार्यक्रम की शुरुआत नाटीय कलाम से हुई।
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मुशायरे में दूर-दूर से आये शायरों ने अपने शायरी और नगमे के जलवे बिखेरे और महफिल में चार चांद लगा दिया। रातभर चली महफिल में जैसे-जैसे रात ढलती गई शायरी और गजलों का परवान चढ़ता गया।

डॉ. कलीम कैशर इलाहाबादी ने तामिर ऐ वतन मैं से नहीं हमसे हुई है , हर हाल में नसलो को भुगतना ही पड़ेगा ने खूब तालियां बटोरी।

अली बाराबंकी के साकी लिखा खुमार लिखा जाम लिख दिया, एक दिन बचा था वो भी तेरे नाम लिख दिया को लोगों ने खूब सराहा। नेपाल की साकिब हारूना की कुछ करते नहीं तो क्या करते, तुझ पर मरते नहीं तो क्या करते की शानदार प्रस्तुति पर लोग झूम उठे। जौहर कानपुरी के बहुत सी आंखो को बादल बना दिया किसने, दिलों के शहरों को जंगल बना दिया किसने पर श्रोता आनन्द विभोर हो गये।

राधिका मित्तल के देशभक्ति के शेर पर श्रोता झूम उठे। इसी तरह तवरे हाशमी किशन गंज, दानिश गजल उतर प्रदेश, डॉ. कलीम केशर इलाहाबादी, रफीउद्दीन राज अमेरिका तथा फैयाज नेपाली आदि ने अपने नगमे से श्रोताओं का मन मोह लिया।

इससे पूर्व डाॅ. शकील अहमद ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि हिन्दी और उर्दू दोनों सगी बहनें हैं। देश की आजादी के दौरान ऐसे कई नारे हैं जो उर्दू में हैं। यह भाषा हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में बोली जाती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिन्दी और उर्दू को धर्म से जोड़कर देखा जाता है जबकि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

कार्यक्रम को बिहार कांग्रेस के प्रदेश सचिव मो. अखलाकअहमद, संयोजक सैफुल इस्लाम, मुशायरा कमेटी के अध्यक्ष राजा खान, सचिव शमसे आलम, कोषाध्यक्ष नौशाद अहमद तथा प्रो. शहजाद मंजर आदि ने संबोधित किया।