चकरनगर/इटावा। ऊंचे टीले और कंटीली झाड़ियों को संजोए रखने वाला चकरनगर बीहड़ क्षेत्र धीरे-धीरे प्राकृतिक सौंदर्य खोता जा रहा है। यमुना की कल-कल करती जलध्वनि के बीच तमाम देशी विदेशी मेहमान इस प्राकृतिक छटा को निहारने यहां आते रहे हैें। प्रदेश सरकार ने भी इसमें चार चांद लगाने के लिए इसे पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। योजना तो पूरी नहीं हो सकी। दूसरी ओर बड़ी-बड़ी जेसीबी मशीनें ऊंचे टीलों का अस्तित्व मिटाने में जुटी हैं। मिट्टी के इस अवैध खनन से लाखों रुपये के राजस्व को चूना लग रहा है, सो अलग। यह गोरखधंधा सैंक्चुअरी व पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है परंतु इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है।
बीहड़ क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक श्री नरसिंह मंदिर व मां काली मंदिर के आस पास ऊंची-नीची घाटियों व कटीली झाड़ियों के बीच खड़े आकर्षक टीलों को जेसीबी मशीन के द्वारा चोरी छुपे नहीं बल्कि डैग की धमाकेदार आवाज जोरों से बजाते हुए मैंन सड़क के आसपास भी टीले ढा़हाए जाने का कार्य जारी है। सूत्रों की माने तो ग्राम गौहानी व ग्रामसभा खिरीटी का मौजा ककरहिया के बीहड़ों में रात और दिन जेसीबी मशीन के चलने से जहां एक तरफ ऊंचे ऊंचे प्राकृतिक टीलों को नेस्तनाबूद किया जा रहा है तो वही बेशकीमती झाड़ियों जिस में तरह-तरह की देसी दवाई उपजी हुई हैं उन्हें भी नेस्तनाबूद किया जा रहा है।
तहसील प्रवक्ता ने बताया कि हमारे ऑफिस से किसी प्रकार की कोई परमिशन किसी भी कास्तकार याकि ठेकेदार को जारी नहीं की गई है।
मिट्टी खनन का नियम यूं तो मिट्टी के व्यावसायिक खनन पर रोक लगी है। बगैर प्रशासन की परमीशन के व्यावसायिक खनन नहीं किया जा सकता। जहां परमीशन दी जाती है वहां शासन से निर्धारित दरों के अनुसार संबंधित को रायल्टी भी जमा करनी होती है। अवैध खनन में वाहनों को सीज कर कार्रवाई का प्रावधान है।
चकरनगर के संबंधित गांव खिरीटी और गौहानी के बीहड़ों में जो जेसीबी के द्वारा कार्य कराया जा रहा है यह वैध है या अवैध है इसकी जानकारी के लिए क्या उपजिलाधिकारी और तहसीलदार चकरनगर कोई कदम उठाएंगे?
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