डेस्क : शराबबंदी कानून को लागू कराने में अब जिलों और थानों का परफॉर्मेंस देखा जाएगा। इसके लिए सौ अंकों का पैमाना तय किया गया है। कुल सात बिंदुओं पर की गई कार्रवाई के आधार पर अलग-अलग नम्बर दिए जाएंगे और जिलों की रैंकिंग तय होगी। यह काम हर महीने होगा और इसकी समीक्षा की जाएगी। मद्यनिषेध इकाई ने इसके लिए फार्मूला तय करते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है।
100 अंकों का ये फार्मूला तय
तय फार्मूले के तहत सबसे अधिक अंक शराब की जब्ती में दिया जायेगा। इसके लिए अधिकतम 25 अंक निर्धारित है। यदि 15 हजार लीटर शराब एक महीने में किसी जिला पुलिस द्वारा जब्त की जाती है तो पूरे 25 अंक मिलेंगे। छोटे जिलों के न्यूनतम 200 और बड़े जिलों के लिए कम से कम 500 लीटर की जब्ती पर ही एक अंक मिलेंगे।
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शराब के खिलाफ कार्रवाई में जिले का परफॉर्मेंस सिर्फ शराब और वाहन की जब्ती पर ही तय नहीं होगा। शराब के धंधेबाजों की संपत्ति का अधिग्रहण, जब्त शराब को नष्ट करने की कार्रवाई, कितने धंधेबाजों को सजा हुई और होम डिलेवरी के कितने मामले पकड़े गए जैसे अन्य बिंदुओं पर भी होगा। सजा के मामले में अधिकतम 15 अंक मिलेंगे। हालांकि यह सजा की अवधि पर निर्भर करेगा। यानि अभियुक्त को कितनी सजा मिली, सजा पांच या दस साल की होने पर उतने अंक नहीं मिलेंगे जितना कि आजीवन कारावास और मृत्युदंड मिलने पर होगी।
एसपी तय करेंगे थानों का परफॉर्मेंस
मद्यनिषेध इकाई ने जिलों के परफॉर्मेंस को मापने के लिए जो सौ अंकों का फार्मूला तय किया है, उसी को आधार बनाकर एसपी थाना स्तर पर शराब के खिलाफ कार्रवाई का परफॉर्मेंस तय कर सकते हैं। वह चाहें तो इससे इतर भी आकलन का पैमाना बना सकते हैं।
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डीएम-एसपी दोनों की है जिम्मेदारी
जिन सात बिंदुओं पर जिले का परफॉर्मेंस देखा जाएगा उसमें एसपी के साथ डीएम पर भी कार्रवाई की जिम्मेदारी है। खासकर अभियुक्त की संपत्ति को कार्रवाई में डीएम की जिम्मेदारी अहम है। हालांकि ज्यादातर मामलों में कार्रवाई एसपी के स्तर से होनी है।
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एसओजी के काम का भी आकलन शुरू
मद्यनिषेध इकाई के अधीन शराब के धंधे के खिलाफ कार्रवाई के लिए बनी स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के कामकाज का भी आकलन शुरू कर दिया गया। एसओपी टीम का परफॉर्मेंस कैसा रहा और उसके द्वारा कितनी कार्रवाई की गई, इसपर भी अधिकारियों की नजर होगी।
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