डेस्क : दरभंगा जिले के धर्मपुर गांव निवासी डॉ. रामजी ठाकुर का संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 2019 के राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयन किया गया है।राष्ट्रपति भवन से गुरुवार को जारी अधिसूचना में संस्कृत विद्वानों की चयनित सूची में नंबर तीन पर डॉ. ठाकुर का नाम अंकित है। डॉ. रामजी ठाकुर उजना धर्मपुर निवासी स्व. सत्यनारायण ठाकुर के पुत्र हैं। पिता किसान थे। वर्ष 1935 में जन्मे डॉ. ठाकुर की शिक्षा-दीक्षा झंझारपुर (मधुबनी) के नरुआर गांव में मामा लक्ष्मीनाथ के सान्निध्य में हुई।
ननिहाल से आचार्य की उपाधि प्राप्त करने के बाद इन्होंने मिथिला संस्कृत शोध संस्थान, दरभंगा से एमए व पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और बेनीपुर प्रखंड के बैंगनी गांव स्थित संस्कृत महाविद्यालय में बतौर प्राध्यापक नियुक्त हुए। कुछ दिनों की सेवा के बाद वर्ष 1972 में मधुबनी जिले के सरिसबपाही गांव स्थित महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह महाविद्यालय में संस्कृत विषय के प्राध्यापक बने व शिक्षण सह साहित्य सेवा में जुट गए।
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संस्कृत विषय में इनकी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में इनकी रचनाएं मूलत: पद्यात्मक हैं। पद्यात्मक साहित्य के क्षेत्र में इनकी करीब दो दर्जन रचनाएं प्रकाशित हो चुकीं हैं, जिनमें वाणेश्वरी चरितम्, वैदेही पदांकम्, राधा विरहम्, प्रेम रहस्यमय, गोविंद चरितामृतम् आदि खंड काव्य हैं जबकि ‘अमृत मंथनम् महाकाव्य और ‘आर्या विलास सहित अन्य मुक्तक काव्य हैं। ‘लघुपद्य प्रबंध त्रयी नामक काव्य की रचना पर इन्हें वर्ष 2012 में साहित्य अकादमी से पुरस्कृत किया जा चुका है।
साहित्य के क्षेत्र में इनके योगदान के लिए ‘साहित्यिकी संस्था से व दो दशक पूर्व ‘चेतना समिति, पटना ने भी इन्हें सम्मानित किया था। करीब दो दर्जन पद्य रचनाएं इनकी प्रकाशित हो चुकीं हैं जबकि दस से अधिक रचनाएं अप्रकाशित हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने की खबर से स्थानीय लोगों में हर्ष है। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त डॉ. किशोर नाथ झा, डॉ. सती रमण झा, उमारमण झा, सदानंद झा, डॉ. जगदीश मिश्र, नीरजा रेणु सहित अन्य लोगों ने राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त किया है।