बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) के कई विधायकों के सांसद बन जाने के बाद खाली हुए मंत्री पद भरने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज (रविवार) मंत्रिमंडल का विस्तार किया.
जिन आठ नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है वे सभी जदयू के हैं। इनमें तीन विधान पार्षद और पांच विधायक हैं। विधान पार्षदों में डॉ। अशोक चौधरी, संजय झा और नीरज कुमार हैं, जबकि विधायकों में फुलवारीशरीफ विधायक श्याम रजक, आलमनगर के विधायक नरेन्द्र नारायण यादव, रुपौली की बीमा भारती, हथुआ के रामसेवक सिंह, लोकहा विधायक लक्षमेश्वर राय शामिल हैं। इनमें संजय झा, नीरज कुमार, लक्ष्मेश्वर राय और रामसेवक सिंह पहली बार मंत्री बने हैं, जबकि चार लोग डॉ। अशोक चौधरी, नरेन्द्र नारायण यादव, बीमा भारती और श्याम रजक नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। मंत्री बने आठ में पांच लोग जदयू संगठन से भी जुड़े हैं। संजय झा व श्याम रजक जदयू के राष्ट्रीय महासचिव, रामसेवक सिंह कुशवाहा राष्ट्रीय सचिव, नीरज कुमार पार्टी के प्रवक्ता, जबकि लक्ष्मेश्वर राय अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं। सामाजिक आधार पर देखें तो शपथ लेने वाले मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों में दो सवर्ण, दो दलित, दो अतिपिछड़ा और दो पिछड़ा वर्ग से हैं।
केंद्रीय कैबिनेट के गठन के बाद बिहार में नीतीश सरकार का कैबिनेट विस्तार काफी अहम माना जा रहा है. केंद्र की मोदी सरकार में जेडीयू को कोई मंत्री पद नहीं मिला है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार जेडीयू के तीन सांसदों को मंत्री बनवाना चाहते थे लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई और शपथ ग्रहण से ऐन वक्त पहले जेडीयू ने मोदी सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया.
हाल ही में जेडीयू ने बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग को भी लेकर हवा देनी शुरू कर दी है, जिसे राजनीति को लोग दबाव की राजनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं. संविधान की धारा 370 हटाने की बात हो या अयोध्या में राम मंदिर निर्माण या तीन तलाक और समान नागरिक कानून हो, इन सभी मामलों में जेडीयू का रुख बीजेपी से अलग रहा है. जेडीयू इन मामलों को लेकर कई बार स्पष्ट राय भी दे चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि पार्टी में सबकी राय है कि केंद्र सरकार में सांकेतिक भागीदारी नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में भी गठबंधन की पहले भी और आज भी सरकार चल रही है. पहले ही सभी कुछ यहां तक कि मंत्रालय भी तय हो जाते हैं.
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8 मंत्रियों की शपथ
नीतीश कुमार की अचानक बदली भाषा क्या बिहार में अगले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का संकेत है? केंद्रीय कैबिनेट में जेडीयू की मांग को जिस प्रकार से दरकिनार किया गया, उसे देखते हुए बिहार में आगे की राजनीति कुछ बदली सी दिखने की संभावना है. रविवार को नीतीश सरकार की कैबिनेट का विस्तार उसी का एक हिस्सा हो सकता है. इसी के तहत रविवार को जो 8 नए मंत्री बने वे सभी जेडीयू से हैं. इनमें बीजेपी और एलजेपी का कोई नेता शामिल नहीं है. नीतीश कुमार ने काफी लंबे समय बाद कैबिनेट विस्तार किया है. इस लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार कैबिनेट के तीन सदस्यों के लोकसभा चुनाव जीत जाने के बाद कैबिनेट विस्तार तय माना जा रहा था.
लोकसभा चुनाव में नीतीश सरकार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से सफलता मिली है, जबकि आपदा और लघु सिंचाई मंत्री दिनेश चंद्र यादव को मधेपुरा से और मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस को हाजीपुर से जीत हासिल हुई है. इससे पहले ही सृजन घोटाले में नाम आने के कारण मंजू वर्मा को समाज कल्याण मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद से नीतीश कैबिनेट में कोई भी महिला सदस्य नहीं है.