माल लखनऊ (रामकिशोर रावत) : किसानों की फसलों को निवाला बनाने वाले आवारा पशुओं से फसलों को बचाने के लिये सरकार ने न्याय पंचायत स्तर पर पशु आश्रयकेंद्रों के निर्माण पर लाखों रूपये खर्च कर रही है। बावजूद इसके दर्जनों पशुओं को किसानों की फसलों,बागीचों और मुख्य मार्गो पर चहल कदमी करते किसी भी समय देखा जा सकता है। जबकि आवारापशु दिखने वाले क्षेत्रीयअधिकारी पर कार्यवाही करने का सरकारी आदेश यहां खोखला साबित हो रहा है।
सरकार ने आवारा पशुओं से किसानों को निजात दिलाने के लिये लाखों की राशि खर्चकर गो शालाओं का निर्माण कराने के साथ उनकी सुरक्षा के लिये टीन शेडों के निर्माण,खाने पीने की ब्यवस्था के साथ साफ सफाई के लिये लेबरों पर धन खर्च कर रही है।
जिला अधिकारी ने आदेश जारी कर हिदायत दी है कि जिस सचिव और लेखपाल के क्षेत्र में आवारा पशु घूमते पाये जायेगें उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जायेगी।लेकिन माल विकास खण्ड में जिम्मेदारों के लिये डीएम का यह आर्देश कोई मायने नहीं रखता है।यहां एक दो नहीं दर्जनों आवारा गोवंशीय पशुओं को किसानों के खेतों,बागों और गांव मोहल्लों के साथ मुख्य सड़कों और चौराहों पर झुंडों में बैठे देखा जा सकता है।
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जो राहगीरों को परेशान ही नहीं करते कभी कभी जान भी ले लेते हैं। शिकायतों के बाद भी जिम्मेदार चुप्पी साधे हुये हैं।ग्रामीणों की मानें तो आश्रय केंद्रों से बंद पशुओं को छोड़ा जाता है जो बाहर घूमते हैं। इस सम्बंध में जब खण्ड विकास अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यदि जो भी ग्रामीण या अन्य कोई पशुओं को छोडरहा है उसके खिलाफ़ कार्यवाही की जायेगी। जब गौशालाओं से पशुओं को छोड़ने की बात पूछी गई तो कहा कि पशुओं को बाहर घूमने के लिए छोड़ा जाता है शाम को खाने के समय फिर चले जाते है।
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