लखनऊ ब्यूरो (राज प्रताप सिंह) :: उत्तर प्रदेश में कोविड कोष के लिए विधायकों की निधि लेने और उनके वेतन में कटौती किए जाने का मुद्दा शुक्रवार को विधान परिषद में उठा। पीठ ने इसे उच्च सदन की विधायी समाधिकार समिति के पास भेज दिया है। सपा सदस्य आनंद भदौरिया ने शून्यकाल के दौरान नियम-39 के तहत औचित्य के प्रश्न के जरिए यह मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार द्वारा सभी सदस्यों से राय मशविरा किए बगैर कोविड कोष के लिए विधायकों की एक साल की निधि लेने और वेतन में कटौती के फैसले को असंवैधानिक बताया।
उन्होंने कहा कि महामारी से पूरा देश जूझ रहा है। जहां इससे निपटने के लिये एक तरफ नाम मात्र प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं इसके लिए कोष जुटाने के नाम पर विधायक निधि को रोका गया है। यह जनता के साथ अन्याय और असंवैधानिक कदम है। भदौरिया ने कहा, ‘जैसे ही केन्द्र सरकार का दो वर्षों का सांसदों का वेतन और निधि रोकने का प्रस्ताव आया, उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी दलों के नेताओे से राय लिए बगैर एक ही पल में तानाशाहीपूर्ण तरीके से हम सभी विधायकों की निधि रोक ली और वेतन में भी कटौती कर दी।’
उन्होंने कहा, ‘आज यह हाल है कि हमारे पास निधि नहीं है। कोई गरीब अपने इलाज के लिए आता है तो हम एक पैसा नहीं दे सकते। आज विधायकों की प्रदेश में इतनी शर्मनाक स्थिति कर दी है कि खुद को विधायक कहने में शर्म आती है।’ भदौरिया ने कहा, ‘कोविड-19 के नाम पर जो कोष एकत्र हुआ है उसे जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी देख रहे हैं। कोविड-19 के नाम पर लूट की जा रही है। आप जांच करा लें। पीपीई किट घटिया किस्म की खरीदी गई हैं। करोड़ों रुपए खर्च कर लाखों लीटर हाइपोक्लोराइड खरीदा गया मगर उसकी गुणवत्ता की क्या गारंटी है।’ उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि इस वर्ष विधायक निधि को दो गुना कर दिया जाए, ताकि हम जनता की सेवा कर सकें।’
सपा सदस्य शशांक यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड कोष के गठन के वक्त कहा था कि हमें एक हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। जहां तक मेरी जानकारी है कि सारी निधि मिलाकर यह 1500 करोड़ से अधिक हो चुकी है, तो क्या सरकार के आकलन में कमी थी। जब बजट पहले ही पूरा हो चुका है तो बची हुई विधायक निधि वापस कर दी जाए।
नेता सदन उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस पर कहा, ‘सरकार ने किसी राशि का निर्धारण नहीं किया था। एक अनुमान कभी घट-बढ़ भी जाता है क्योंकि कोविड की आकस्मिकता में तमाम तरह के व्यय जुड़े हैं। विधायक निधि या वेतन में कटौती वापस लेने का फिलहाल कोई विचार नहीं है। उन्होंने सपा सदस्य आनंद भदौरिया द्वारा उठाए गए मुद्दे पर कहा कि वह सदस्य की भावनाओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाएंगे, मगर सरकार ने जो कदम उठाया वह कोरोना संकट काल में जरूरी था। अभी निधि को फिलहाल एक साल के लिए रोका गया है। सपा सदस्य को और दान करना चाहिए, बजाय इसके कि जो दिया है उसको वापस लेने की बात करें।
बाद में अधिष्ठाता सुरेश कुमार त्रिपाठी ने व्यवस्था देते हुए कहा कि विधायक निधि का एक प्रकरण विधान परिषद की विधायी समाधिकार समिति के समक्ष लम्बित है। लिहाजा, इस सूचना को भी समाधिकार समिति के पास भेजा जाता है।