डेस्क। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के मैथिली विभाग में मैथिली के वरेण्य कवि,कथाकार, अनुवादक, आलोचक, संपादक तथा व्यंग्यकार रामलोचन ठाकुर की जयंती विभागाध्यक्ष प्रो दमन कुमार झा की अध्यक्षता में मनाया गया।

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आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. दमन कुमार झा ने कहा कि रामलोचन ठाकुर का जीवन आरम्भ से लेकर जीवन के अंतिम क्षण तक मिथिला एवं मैथिली के लिए समर्पित था। वे अपने निराले स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थे। वे अपने साहित्यिक रचनाओं में यथार्थ को प्रमुख रूप से स्थान देते थे। जिस कारण उनकी छवि अन्य साहित्यकारों से भिन्न थी। वे शहर में रहे लेकिन उनकी आत्मा गांव में निवास करती थी। उनकी कविताओं में ग्रामीण स्वर सहजता से प्रकट हो जाता है। वे संपादक भी थे, इसलिए उनकी लेखनी थोड़ी प्रखर और तेज थी। यह तत्व उनकी अन्य रचनाओं में भी दृष्टिगत होती है। प्रो झा ने विभाग के पूर्व प्राचार्य डॉ रामदेव झा का भी हृदय से स्मरण किया जिनकी आज पुण्यतिथि है।

विभाग के वरीय प्राध्यापक प्रो. अशोक कुमार मेहता ने अपने संबोधन में कहा की रामलोचन ठाकुर व्यक्ति भले एक थे परन्तु उनके स्वरूप अनेक थे। देखने मे जितने ही साधारण उनका व्यक्तित्व उतना ही असाधारण उनका साहित्य था। अपनी सेवाकाल में कलकत्ता में रहने के कारण वे बंगला की कई चर्चित रचनाओं एवं पुस्तकों का अनुवाद किया, जिससे मैथिली साहित्य अनुवाद के क्षेत्र में समृद्ध हुआ। संपादकीय दायित्वों का निर्वहन करते हुए जिस प्रकार उन्होंने मिथिला दर्शन नामक मैथिली पत्रिका में आखर लेख का आगाज किया जिससे लगता है कि वे शब्दों के जादूगर थे।
डॉ सुरेश पासवान ने कहा कि रामलोचन ठाकुर मैथिली के बहुविध रचनाकार थे। वे जिस विधा में लिखे खासे चर्चित रहे। आयोजित समारोह में विभाग के शोधार्थीयों ने भी रामलोचन ठाकुर के व्यक्तित्व एवं कृतित्त्व पर प्रकाश डाला जिसमें प्रमुख रूप से शालिनी कुमारी, बन्दना कुमारी, भोगेंद्र प्रसाद सिंह, शीला कुमारी, मनोज कुमार पंडित , राजनाथ पंडित, अम्बालिका कुमारी, मिथिलेश कुमार चौधरी, नेहा कुमारी आदि शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुरेश पासवान ने किया।
