डेस्क। छत्तीसगढ़ पुलिस और बिहार पुलिस की एक संयुक्त टीम ने गुरुवार देर रात गोपालगंज के भोरे थाना क्षेत्र में छापेमारी की और छत्तीसगढ़ उत्पाद विभाग के पूर्व सचिव अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया अरुणपति त्रिपाठी, जो शराब घोटाले में सिंडिकेट का सरगना है। राज्य सरकार में प्रतिनियुक्ति पर भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) अधिकारी ने उत्पाद शुल्क विभाग के विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया था।
गोपालगंज के एसपी स्वर्ण प्रभात ने शुक्रवार को उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि अरुणपति अपनी पत्नी के साथ सिसई गांव में अपने रिश्तेदार के घर पर छिपे हुए थे। गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए पुलिस की एक संयुक्त टीम ने घर पर छापेमारी की और उसे पकड़ लिया। गोपालगंज टीम ने उसे छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंप दिया। त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित सेक्टर 9 के रहने वाले हैं।
गोपालगंज एसपी ने कहा, शराब घोटाले में जमानत मिलने के बाद से त्रिपाठी फरार हो गया था और उसने अपना सेल फोन बंद कर दिया था।
15 फरवरी को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अरुणपति त्रिपाठी को जमानत मिली थी। जिन्हें कथित करोड़ों रुपये के शराब घोटाले के सिलसिले में 12 मई, 2023 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। ईडी का आरोप है कि त्रिपाठी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर शराब माफियाओं से रिश्वत, कमीशन और बेहिसाब धन लिया और इसे एक सिंडिकेट की आय के प्रमुख स्रोतों में से एक बताया। एजेंसी का आरोप है कि सीएमएससीएल सिंडिकेट के हाथों की कठपुतली बन गया था।
गुरुवार रात गिरफ्तारी के बाद अरुणपति त्रिपाठी का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उन्हें एक ऐसे मामले में फंसाया गया है, जिसकी जांच ईडी ने शुरू की है। मामले से परिचित छत्तीसगढ़ पुलिस अधिकारी ने कहा कि 776 करोड़ रुपये का शराब घोटाला सामने आया है। जिस पर नई भाजपा सरकार ने नए सिरे से जांच के आदेश दिए।
छत्तीसगढ़ पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने सरकारी अधिकारियों, व्यापारियों और अन्य लोगों सहित 70 लोगों के खिलाफ ताजा मामला दर्ज किया, जिसके परिणामस्वरूप त्रिपाठी की गिरफ्तारी हुई।