लखनऊ ब्यूरो (राज प्रताप सिंह) :: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जेलों में मोबाइल फोन एवं इंटररनेट का इस्तेमाल करने वाले बंदियों और गलत पहचान के साथ जेलों में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए जेल अधिनियम में जरूरी संशोधन कर दंड को और अधिक कठोर बनाए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट पहले ही मंजूर कर चुकी है। अपर मुख्य सचिव गृह एवं जेल अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि जेलों में निरुद्ध बंदियों द्वारा संचालित की जाने वाली आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से यह फैसला किया गया है।
शासन के निर्णय के अनुसार यदि कोई बंदी किसी जेल परिसर के अंदर अथवा उसके बाहर कोई अपराध करने के प्रयास या षड़यंत्र रचने के लिए किसी मोबाइल का प्रयोग करते हुए पाया जाता है तो दोषसिद्ध होने पर उसे 3 से 5 साल तक की जेल की सजा हो सकती है अथवा 20 हजार से 50 हजार रुपये तक अर्थदंड लगाया जा सकता है या दोनों सजा से दंडित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जेल में बंदी को भेजे जाने का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि वह आगे कोई अपराध न कर सके तथा मुकदमे के साक्ष्य अथवा साक्षियों को प्रभावित न कर सके। जेलों में मोबाइल फोन एवं इंटरनेट का अनधिकृत उपयोग किए जाने से इन उद्देश्यों की पूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है। इसी तरह कभी-कभी जेल में गलत पहचान विवरण के साथ बाहरी व्यक्ति प्रवेश कर जाते हैं तथा बंदियों को निषिद्ध वस्तुओं की आपूर्ति अथवा बंदियों से मिलकर आपराधिक षड्यंत्र करने का प्रयास करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को भी रोकने के लिए कड़ा कानून बनाया जा रहा है।