लखनऊ ब्यूरो (राज प्रताप सिंह) :विधानसभा में मंगलवार को शून्यकाल में भाजपा के लोनी गाजियाबाद से विधायक नंद किशोर गुर्जर को अपना पक्ष न रखने देने के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष ने संयुक्त रूप से हंगामा किया। सपा सदस्य वेल में आ गए और नारेबाजी करते हुए विधायक की बात सुनने की मांग की। सपा ने विधायक की बात न सुनने पर सदन से वाकआउट कर दिया।
इसे देखकर सत्तापक्ष भाजपा के दर्जनों विधायक भी अपनी सीट पर खड़े होकर विधायक का समर्थन करने लगे। शोर-शराबा बढ़ने पर विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी दर्जनों भाजपा विधायक अपनी सीटों पर विरोध स्वरूप जमे रहे।
कहा जा रहा है कि सत्तापक्ष व विपक्ष के विधायकों के एकजुट होने का प्रकरण अभूतपूर्व है। संभवत: ऐसा पहली बार देखने को मिला जबकि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विधायक एकता जिंदाबाद के नारे लगे। सत्तापक्ष के विधायकों के तेवर देखकर सरकार मुश्किलों में घिरती नज़र आई।
लोनी विधायक के समर्थन में जुटे विपक्षी सदस्य
मामला लोनी के भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर का था। गुर्जर पुलिस द्वारा उन्हें उत्पीड़ित किए जाने की बात उठाना चाह रहे थे लेकिन संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने उनको ऐसा करने से मना कर दिया। जिससे वह अपनी पीड़ा व्यक्त नहीं कर सके। उनके दर्द को विपक्षी सदस्यों ने आवाज दी तो सत्तारुढ़ दल के विधायक भी अपने साथी सदस्य के पक्ष में ऐसा मुखर हुए कि सदन को स्थगित करना पड़ा। सपा विधायकों ने इस मुद्दे पर सदन में हंगामा किया और वेल में आकर नारेबाजी की और फिर सदन से वाकआउट किया। इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायक भी अपने साथी सदस्य के पक्ष में दिखे।शून्यकाल में पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ गुर्जर बोलने के इच्छुक थे। इसलिए खड़े होकर उन्होंने हथेली में अंगुली का संकेत करते हुए बोलने की अनुमति मांगी। इसके लिए उन्हें सुभासपा के नेता ओम प्रकाश राजभर ने भी प्रोत्साहित किया। इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने नाराजगी जताते हुए नंद किशोर गुर्जर को बैठने को कहा। अध्यक्ष ने उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी।
‘सदस्य को न्याय दो’ के नारे लगे
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने गुर्जर से कहा कि वह बैठ जाएं। उन्होंने पहले से कोई नोटिस भी नहीं दी है लेकिन वह खड़े रहे। सपा के सदस्य वेल में आकर विधायक के समर्थन में नारेबाजी करने लगे। उनका कहना था कि सदन में जब सत्ता पक्ष के सदस्य को ही कुछ कहने की अनुमति नहीं है तो विपक्ष की क्या सुनी जाएगी? विपक्षी सदस्य भाजपा सदस्य को न्याय दो के नारे लगाने लगे। बाद में गुर्जर अपने स्थान से संसदीय कार्यमंत्री की सीट पर आए और कान में कुछ कहा। पर्ची थमाई। उसके कुछ देर बाद वह सदन से चले गए।
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असल में नंद किशोर गुर्जर खाद्य सुरक्षा अधिकारी से मारपीट के मामले में नामजद हैं। उनका आरोप है कि एसपी ने उन्हें घर से उठवा लिया। थानेदार ने उन्हें चार घंटे थाने में बिठाए रखा। उनके प्रतिनिधि को पुलिस ने जेल भेज दिया। ऐसे में जनता के बीच विधायक की क्या इज्जत रहेगी। भाजपा ने उन्हें एक दिसंबर को कारण बताओ नोटिस दिया और हफ्ते भर में जवाब मांगा जबकि गुर्जर का कहना था कि भाजपा में उनके खिलाफ साजिश हो रही है।
सदन एक घंटे तक रहा स्थगित
सदन करीब एक घंटे तक स्थगित रहने के बाद जब फिर बैठा तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य फिर खड़े हो गए। कहा कि पहले गुर्जर की बात सुन ली जाए। संसदीय कार्यमंत्री कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल किए जाने की मांग पर अपनी बात कहने लगे लेकिन सदन उसी पुराने मुद्दे पर अव्यवस्थित रहा। नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि पहले उन विधायक की बात सुन ली जाए। बसपा के लालजी वर्मा ने कहा कि पुरानी पेंशन का मसला लाखों कर्मचारियों से जुड़ा है। उन्होंने सदन को व्यवस्थित करने का अनुरोध किया लेकिन सदन व्यवस्थित न होते देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी।