(राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो) उत्तर प्रदेश के आईआईडीसी आलोक टंडन ने कहा है कि सभी विभागों द्वारा उद्यमियों की समस्याओं का नीतियों व नियमों के अनुसार निश्चित समय-सीमा में निस्तारण कर उनके द्वारा की गई कार्यवाही की जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में अब मण्डी के बाहर ट्रेड एरिया के सापेक्ष मण्डी शुल्क देय नहीं होगा। श्री टंडन ने सोमवार को वेबिनार के जरिए निवेशकों की समस्याओं का निराकरण कराया। समितियों का कार्यक्षेत्र निर्मित मण्डी परिसरों तक सीमित होगा। राइस मिलर्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन, गाजियाबाद के प्रदेश में धान आयात कर चावल निर्यात करने पर मण्डी शुल्क से छूट न मिल पाने के प्रकरण सहित तीन मामलों का समाधान करते हुए सूचित किया गया कि राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना एवं भारत सरकार द्वारा कृषि विपणन सुधारों के फलस्वरूप अब मण्डी परिसर के बाहर ट्रेड एरिया में मंडी शुल्क देय नहीं होगा।
मंडी समितियों का कार्यक्षेत्र निर्मित मंडी परिसरों तक सीमित हो गया है।भूखण्डों के संविलयन पर पुनः स्टाम्प ड्यूटी जमा करने की समस्या का समाधान कराया गया। तय हुआ कि भूखण्डों के संविलयन के प्रकरणों में जमा किए गए अतिरिक्त प्रोसेसिंग शुल्क को प्रतिफल मानते हुए उस पर स्टाम्प ड्यूटी देय होगी।
यदि संविलयन निःशुल्क हुआ होगा, तो पूरक पत्र में रु.100 की स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी।औद्योगिक आस्थान, हाथरस में मासिक विद्युत बिलों के अधिक आने के प्रकरण पर आई.आई.डी.सी. ने उ. प्र. पावर काॅर्पोरेशन को निर्देशित किया कि बिलिंग साफ्टवेयर में आवश्यक प्राविधान कर प्रदेश के उद्योगों की इस समस्या का तकनीकी समाधान एक माह में किया जाए। प्रमुख सचिव,अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास,आलोक कुमार ने उद्यमियों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार उद्योगों की सुविधा हेतु प्रक्रियाओं का निरन्तर सरलीकरण कर रही है।