– उद्यमियों को उद्योग बन्धु की बैठकों में मात्र एक बार आना पड़े- निस्तारण के लिए रिपोर्ट एक महीने में उपलब्ध कराएं
– जेआरजी फूड्स प्राइवेट लिमिटेड प्रकरण का प्रकरण लंबित रहने पर जताई नाराजगी
– 12 प्रकरणों का बैठक में तत्काल निस्तारण, 18 मामलों में विभागों को समयबद्ध निस्तारण के निर्देश
राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने विभागीय अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं कि किसी भी उद्यमी को समस्याओं का नियमानुसार निस्तारण कराने के लिए किसी भी कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े। राज्य सरकार की नीतियों व नियमों के अनुसार उद्यमियों की समस्याओं का तत्काल निश्चित समय-सीमा में फैसला करें। उद्योग बन्धु में निस्तारण के लिए उठाए गए मामलों में रिपोर्ट अधिकतम एक माह में उपलब्ध कराई जाए।
मुख्य सचिव बुधवार को योजना भवन में उद्योग बन्धु की बैठक कर रहे थे। मुख्य सचिव ने चेतावनी दी कि अगर उद्योमियों की समस्याओं का वक्त पर निराकरण नहीं किया गया तो अधिकारियों को चिन्हित कर दण्डित किया जाएगा।
बैठक में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग, आवास विभाग, स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग, कृषि विपणन विभाग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग, पंचायतीराज विभाग, उ.प्र. राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा), पिकप एवं राजस्व विभाग के 12 प्रकरणों का बैठक में तत्काल निस्तारण कर दिया गया। साथ ही 18 मामलों में विभागों को समयबद्ध निस्तारण के निर्देश दिए गए।
मुख्य सचिव ने जेआरजी फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रकरण मण्डलायुक्त स्तर पर लंबित रहने की उद्यमी द्वारा जानकारी देने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने निर्देश दिए कि इतने लंबे समय तक प्रकरण को बेवजह लटकाने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए। उन्होंने जिला स्तर पर जमीनों के मामले लंबे समय तक लटके रहने पर अप्रसन्नता जाहिर की। उद्योगों के लिए भूमि संबंधित रिपोर्ट जिला प्रशासन द्वारा एक माह के अन्दर देने के निर्देश दिए।
साथ ही मुख्य सचिव ने मंडी परिषद को निर्देश दिए कि नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, जिसमें प्लाण्ट व मशीनरी में अगले 5 वर्ष तक पूंजी निवेश 5 करोड़ रुपये या अधिक हो, उनकी नीति के अनुसार मण्डी शुल्क से छूट में पारदर्शिता के साथ नियम बनाए जाएं। जिन प्रकरणों में देरी हुई है, उनमें अधिकारियों की जिम्मेदारी नियत कर कार्यवाही की जाए।