सौरभ शेखर श्रीवास्तव की ब्यूरो रिपोर्ट दरभंगा : राष्ट्रवादी सोच पर आधारित सक्षम संस्था के तत्वावधान में विश्व दिव्यांगता दिवस की पूर्व संध्या पर राजकीय नेत्रहीन विद्यालय, पुअर होम, दरभंगा में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।
दिव्यांगता विवशता नहीं, वरन समाज हेतु कुछ कर गुजरने का अवसर- डा अशोक
मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी विवेकानंद कैंसर अस्पताल, दरभंगा के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डा अशोक सिंह ने शरीर में रक्त की कमी से उत्पन्न थैलेसीमिया रोग के कारण उत्पन्न दिव्यांगता के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि यह अनुवांशिक रोग है, जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन कम बनता है और हमारा शरीर पोषक तत्व और ऑक्सीजन की कमी के कारण काफी कमजोर हो जाता है। त्वचा और आंख पीले हो जाते हैं तथा पेट फूल जाता है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगता विवसता नहीं,वरन समाज हेतु कुछ कर गुजरने का एक अवसर है।उन्होंने अष्टावक्र, सूरदास, स्टीफन हॉकिंग तथा रामभद्राचार्य आदि का उदाहरण देते हुए बताया कि ये सभी दिव्यांग होते हुए भी अपने-अपने क्षेत्र में इतिहास की रचना की। सिर्फ सरकार द्वारा ही इनका कल्याण संभव नहीं है, बल्कि समाज को भी आगे आना चाहिए।
दिव्यांग हमारे समाज के अभिन्न अंग, राष्ट्र- निर्माण में इनका योगदान सराहनीय- डा चौरसिया
मुख्य वक्ता के रूप में सी एम कॉलेज, दरभंगा के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा आर एन चौरसिया ने कहा कि दिव्यांग हमारे समाज के अभिन्न अंग हैं, जिनका राष्ट्र निर्माण में सराहनीय योगदान रहा है। ये दया के पात्र नहीं हैं। इन्हें भी स्वाभिमान के साथ अपना जीवन व्यतीत करने का समान अधिकार प्राप्त है। सामान्य लोगों की तुलना में दिव्यांगों की सभी ज्ञानेंद्रियाँ अधिक सक्रिय होती हैं। बस जरूरत है कि हम इनकी क्षमता व व्यक्तित्व के विकास का पूर्ण अवसर मिले। सूरदास ने अपनी बंद आंखों से कृष्ण के जिस स्वरूप का अवलोकन किया, वह आंख वाला व्यक्ति भी आज तक नहीं कर सका। दिव्यांगता शारीरिक रूप से इतना प्रभावित नहीं करता, जितना सामाजिक व मनोवैज्ञानिक रूप से। हमें दिव्यांगों के प्रति अपनी दृष्टि को बदलना ही होगा। हमारे देश में दो करोड़ से भी अधिक व्यक्ति दिव्यांग हैं, जिन्हें यदि प्रशिक्षित कर दें तो ये अपना कार्य अधिक जिम्मेवारी से कर सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डीएमसीएच के एनएमओ डा अर्पित राज यदि समय पर बीमारी का पता चले और इलाज हो तो अनेक व्यक्तियों को हम दिव्यांग होने से बचा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को संतुलित और पौष्टिक आहार प्रदान कर उनके बच्चों को दिव्यांग होने से बचाया जा सकता है। इसके प्रति हमें आमलोगों को जागरुक करना होगा।
दिव्यांगता को समस्या न मानकर सक्षम बने और समाज को चुनौती प्रदान करें- राकेश किरण
अध्यक्षीय संबोधन में राजकीय नेत्रहीन विद्यालय के प्रधानाचार्य राकेश किरण ने कहा कि दिव्यांगता को समस्या न मानकर सक्षम बने और समाज को चुनौती प्रदान करें। हम मात्र समस्याओं का रोना ही नहीं रोये, बल्कि अपनी प्रतिभा व क्षमता को जगाकर अपने ऊपर विश्वास करें और समाज को अपनी ओर खींचे। उन्होंने सक्षम के इस सराहनीय प्रयास की प्रशंसा की।
पाराओलंपिक में भारतीय दिव्यांगों ने 19 पदक जीतकर अपनी क्षमता सिद्ध की- चंद्रभूषण
राजीव कुमार मधुकर के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सक्षम के उत्तर बिहार के प्रभारी चंद्रभूषण पाठक ने संस्था के कार्यों का विस्तार से परिचय देते हुए बताया कि यह दिव्यांगों व कुष्ठ रोगियों आदि के लिए कार्य करती है, जिसकी स्थापना 20 जून, 2008 को नागपुर में हुई थी। उन्होंने बताया कि यूएनओ ने 1984 के भोपाल गैसकांड के दिन 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस दिन हम दिव्यांगों के लिए अपने कर्तव्यों के प्रति संकल्पित होते हैं तथा उनकी मुद्दे एवं चुनौतियों से रूबरू भी होते हैं।
कार्यक्रम में आलोक ठाकुर, रंजीत झा, सुरेंद्र साहनी, वैद्यनाथ, कांता चौधरी, रोहित कुमार, यश यादव, अतुल सजन, संतराम व रवीन्द्र कुमार सहित विद्यालय के शिक्षक एवं छात्र उपस्थित थे। कार्यक्रम का प्रारंभ स्वयंसेवक विकास कुमार गिरी के संस्कृत मंगलाचरण से हुआ, जबकि आगत अतिथियों द्वारा सूरदास की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।