डेस्क : हरितालिका तीज पर गुरुवार को देश के अलग-अलग प्रांतों के साथ बिहार के सभी जिलों में भी महिलाअों ने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखा. अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु की कामना के लिए विवाहित महिलाओं ने निर्जला उपवास रखकर तीज का पूजन किया।
- पति की रक्षा का पर्व हरतालिका तीज
- तीज पर सुहागन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु की कामना करते हुए तीज का व्रत रखती है
दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर,समस्तीपुर,सीतामढ़ी समेत तमाम जिलों में महिलाअों ने पूरी श्रद्धा के साथ तीज का व्रत रखा. दिन में महिलाअों ने मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की. दिन भर का निर्जला उपवास रखा. शाम को भगवान शिव की कथा सुनी और भोलेनाथ से प्रार्थना की कि उनके सुहाग को अमर कर दें. इसके साथ ही महिलाअों ने अपने परिवार में शांति, सुख समृद्धि की कामना भी की.
समूह में भगवान शिव की कथा सुनने के बाद महिलाअों ने आरती की और प्रसाद वितरण किया. इसके बाद पूजा का विसर्जन किया गया. हरितालिका तीज पर हर शहर के शिवालयों में दिन भर सुहागिनों की भीड़ लगी रही.
शिवपूजा और व्रत का है विधान
मान्यताओं के अनुसार महिलाएं आज के दिन निर्जल व्रत रखती हैं और भगवान शिवपार्वती की पूजा के बाद कथा सुनती हैं साथ ही लोगों को सुनाती हैं उससे भगवान प्रसन्न होते हैं और अखंड सुहागन का आशीर्वाद प्रदान करते हैं बताते चलें कि देश के पूर्वोतर भाग विशेषकर पूर्वांचल में महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए ये व्रत रखती हैं जबकि कुछ भागों में करवा चौथ का चलन है।
ऐसे होती है पूजा
सौभाग्य पर्व हरितालिका तीज पर कच्ची माटी के गौरी शंकर अखंड सौभाग्य के वरदान के साथ माटी के इस महात्म्य को सौभाग्य रूप में ही आत्मसात करने का भी संदेश देते हैं। वैसे तो सनातन परंपरा में दुर्गा पूजा, गणपति उत्सव से लगायत होली, दीपावली, विश्वकर्मा पूजा जैसे सभी पर्व पर मिट्टी की प्रतिमाएं अलग-अलग रीतियों से पूजी जाती हैं। लेकिन तीज ही एक मात्र ऐसा त्योहार है जिसमें रंग-रोगन के निषेध के साथ सुच्ची माटी की ही मूर्ति पूजने का विधान है शाम होने के साथ ही वर्ती महिलाएं शिवालयों या फिर घरों में शिव पार्वती की मूर्ति का विधि पूर्वक प्रतिष्ठित कर पूजन अर्चन करने के बाद कल व्रत का समाप्त करती हैं धर्म शास्त्रों के अनुशार माँ पार्वती ने इस व्रत को किया था।