Breaking News

बिहार :: कार्तिक पूर्णिमा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, सुबह से हीं स्नान करने का लगा रहा तांता

बिहारशरीफ/गिरियक : कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान का विशेष महत्व है। इस मौके पर जिले के विभिन्न नदियों, तालाबों में श्रद्धालुओं ने डूबकी लगायी और पूजा अर्चना की। बिहारशरीफ के कोसुक स्थित पंचाने नदी में अहले सुबह से हीं स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। जो कि दोपहर तक लगातार जारी रहा। इस दौरान श्रद्धालुओं ने वहां लगे तुलसी के वृक्ष की पूजा अर्चना की और मन्नतें मांगी। वही गिरियक के पहाड़ी तलहटी स्थित पंचाने नदी में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। बताया जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण, अर्जुन एवं भीम का पदापर्ण हुआ था। आज के दिन गिरियक पंचाने नदी में स्नान का विशेष महत्व है। इसी को लेकर आज गिरियक पहाड़ के तलहट्टी के पंचाने नदी काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। दूर-दराज से काफी संख्या में आकर श्रद्धालुओं ने इस नदी में स्नान के लिए डूबकी लगाया। इस बारे में लोगों की मान्यता है कि जरासंध 28 हजार राजाओं को युद्ध में परास्त कर बंदी बनाया था। बंदी किये गये राजाओं को भगवान कृष्ण ने बंदी गृह से मुक्त किये और उन राजाओं को गिरियक के तट पर मगधी नदी (पंचाने नदी) में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही स्नान कराया था। पूर्णिमा के दिन ही राजाओं ने अर्द्धचकरी नारायण के रूप में अभिषेक भी किया था जो अभी भी गिरियक पहाड़ पर वर्तमान है। पंचाने नदी के जिस जगह पर राजाओं ने स्नान किया था उस स्थान को भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न हो कर “बैकुंठ धाम” का वरदान दिया। वह स्थान चरण चिन्ह सामने मिलता है जिसका प्रमाण धर्मगं्रथों में आज भी मिलता है। इसी आस्था को लेकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने की परम्परा कायम है।

काष्ट सामग्री की होती है खूब बिक्री
कार्तिक पूर्णिमा में गिरियक की तलहटटी में लगने वाले मेले का जहां स्नान करने की एक पौराणिक कथा है वहीं विभिन्न प्रकार की सामग्री की दुकानीं सजती है और लोग एक साल के अंतराल के बाद अपनी जरूरतों के अनुसार आकर खरीदारी करते हैं। इस अवसर पर एक माह तक चलने वाले में मुख्य रूप से लोग काष्ट कला एवं कृषि के विभिन्न प्रकार के सामग्री की खरीदारी भी खूब करते हैं। किसान हों या फिर अन्य लोग इस मौके पर मिलने वाले काष्ट सामग्री के लिए प्रतीक्षा में रहते हैं और मेले में जाकर पलंग, चौकी आलमीरा, टेबल-कुर्सी, चारपाई के लिए पौआ-पाटी हो या फिर खेती के लिए उपयुक्त सामान हसुआ, कुदाल, खुरपी, कुदारी सहित विभिन्न प्रकार के सामान की खूब बिक्री होती है। वहीं दुकानदार और व्यापारी भी गिरियक मेंले में अपने हस्त कला सामग्री के साथ दुकान लगाते हैं और महीने भर इन्तेजार कर बिक्री करते हैं। मेले में लगते हैं झूले सजते हैं सिंगार की भी दुकाने, खाने के लिए पूरी कचौरी तो जलेबी भी किसी से कम नहीं, कदम- कदम पर आपको गरमा गर्म जलेबी मिलेगा। मेले में इस बार भी बच्चे नौजवानों के लिए झूले भी लगे हों जिसका आनन्द बच्चे अधिक ले रहे थे।

Check Also

ऐतिहासिक हिंदू मंदिर गिराया, वाणिज्यिक परिसर का निर्माण किया शुरू

डेस्क। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को ढहा दिया गया है। …

तेजाब पिलाकर युवक की हत्या, पेट फटकर आंत बाहर शव मिलने से सनसनी

डेस्क। दरभंगा जिले के कमतौल थाना क्षेत्र में हरिहरपुर से कनौर जानेवाली सड़क पर मो …

700 करोड़ का शराब घोटाला, उत्पाद विभाग का पूर्व सचिव बिहार से गिरफ्तार

  डेस्क। छत्तीसगढ़ पुलिस और बिहार पुलिस की एक संयुक्त टीम ने गुरुवार देर रात …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *