रामकिशोर रावत
लखनऊ।माल थाना परिसर बना आदर्श जलाशय जिसमें पुलिसकर्मी पानी में पैठकर निकलने को मजबूर वही जर्जर आवासों में भी मजबूरन रहना पड़ रहा है। शिकायत करने के बाद भी किसी जिम्मेदार अधिकारी ने मुड़ कर देखने की फुर्सत ही नहीं है। दहशत के साए में आवासों में रहते हैं पुलिसकर्मी। माल थाना परिसर में बरसात का पानी इस तरह भर जाता है जैसे कोई आदर्श जलाशय तालाब दिखाई देता है जिसमें पुलिसकर्मियों को मजबूरन पानी में पैठकर निकलना पड़ता है यहां तक कि माल थाने परिसर में बने आवास पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं जिसके बाद भी इन्हीं आवासों में रुकने को मजबूर हैं पुलिसकर्मी। उच्च अधिकारियों को लिखित शिकायत करने के बाद भी कोई भी जिम्मेदार मुड़कर इन आवासों वह थाना परिसर में भर रहे पानी को देखने वाला कोई भी नहीं दिखाई दे रहा है।जब यह हाल थाने का है तो ग्रामीण इलाकों में गांव का क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पानी भरने का मुख्य कारण है कि जिन नालियों से परिसर का पानी निकलता है वह नालियां महीनों से फटी पड़ी हुई हैं जिससे पानी निकलना काफी मुश्किल दिखाई दे रहा है। इससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब थाने के सामने बनी पक्की नालियां फटी पड़ी हुई है और सफाई कर्मी किस तरह से नालियों की सफाई कर रहे हैं यह भी देखा जा रहा है जब यह हाल थाने के सामने का है तो गांव में बनी नालियों को किस तरह से सफाई कर्मचारी सफाई करते होंगे यह कोई बताने की जरूरत ही नहीं है विभागीय अधिकारी व कर्मचारी सिर्फ कागजों पर ही खानापूर्ति कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं और जमीनी हकीकत को देखने वाला कोई सामने नजर नहीं आ रहा है जिससे चर्चा का विषय बना हुआ है कि वर्तमान सरकार व पूर्व सरकार में कोई भी परिवर्तन नहीं दिखाई दे रहा है वही सरकार जल निकासी करने के लिए अधिकारियों को कड़े निर्देश दे रही है लेकिन इसका पालन किस तरह हो रहा है यह तो थाने परिसर में भरे पानी से ही देखा जा सकता है