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मदर्स डे विशेष :: मम्‍मी भगवान के घर से वापस कब आएंगी – मेरा एक ही सवाल

उ.सं.डेस्क : मां,  तुम आज भी बहुत याद आती हो. जब पूरी दुनिया अपनी मां को हैपी मदर्स डे कहती है, तब मुझे भी तुम बहुत याद आती हो. मैं तो तुम्हें कभी यह सब कह ही नहीं पाई. मैं तो तुम्हें कभी मां भी नहीं कह पाई. कितना कुछ कहना है तुमसे और कितना कुछ सुनना है, लेकिन तुम नहीं हो कुछ भी सुनने के लिए. इतनी जल्दी क्यों चली गई मां? अभी मैं बस चार साल की ही तो हुई थी. ठीक से बोलना भी नहीं सीखा था और तुम बिना कुछ सुने ही चली गई.

आज तुम्हारे बिना इक्कीस साल हो गए. तुम मुझे हर दिन याद आती हो. जब मैं बहुत खुश होती हूं, तब तुम मेरी ख़ुशी बांटने के लिए मेरे साथ नहीं होती हो. जब दुखी होकर रोती हूं तो तुम मेरे आंसू पोंछने के लिए भी नहीं होती. मैंने तुम्हारे बिना चलना सीखा, स्कूल जाना सीखा, कॉलेज भी खत्म हो गया और अब तो मैं नौकरी भी करने लगी हूं. तुम जिस चार साल की बच्ची को छोड़कर चली गई थी, अब वह बड़ी हो गई है, लेकिन तुम्हारे बिना जीना नहीं सीख पाई है.

मुझे आज भी वो दिन याद है, जब तुम हमेशा के लिए चली गई थी. पापा और दीदी तुम्हारे लिए रो रहे थे, लेकिन मैं और भैया तो कुछ सोचने-समझने लायक ही नहीं थे. हम समझ नहीं पा रहे थे कि घर पर इतने लोग क्यों आए हुए हैं. पापा हमें गले लगाकर क्यों रो रहे थे. तुम्हें ऐसे लिटा क्यों रखा था. तुम्हें दुल्हन की तरह क्यों सजाया हुआ था. तुम्हें पता है मां मैंने उस दिन भैया को नए कपड़े क्यों पहना दिए थे? क्योंकि मुझे लगा था कि घर पर कोई पार्टी है. इसलिए ये मेहमान आए हुए हैं. ये सोचकर मैंने खुद भी नए कपड़े पहन लिए और भैया को भी पहना दिए.

पापा ने जब मुझे और भैया को नए कपड़ों में देखा तो वो और जोर-जोर से रोने लगे थे. बार-बार कह रहे थे कि मेरे बच्चे अपनी मां के बिना कैसे रहेंगे? मैं नादान थी. मैंने सबसे पूछा कि आप लोग क्यों रो रहे हो? लेकिन किसी ने मुझसे सच नहीं बताया. पापा मुझे देख कर रोते रहे. मैंने समझने की कोशिश की, लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया.

दीदी ने मुझे बताया कि मम्मी अब नहीं रहीं. मम्मी को ये सब लोग ले जा रहें हैं. अब वो कभी वापस नहीं आएंगी. पर उस वक़्त मुझे पता नहीं था कि नहीं रहने का क्या मतलब था. फिर अपनी नादानी में मैं पापा से पूछ बैठी, ” मम्मी कभी नहीं आएंगी तो हमारा खाना कौन बनाएगा?”
पापा कोई जवाब नहीं सके. उसके बाद हम सब बिखर गए. पापा ने मुझे बुआ के घर रहने भेज दिया. भैया को चाचाजी ले गए. दोनों दीदी हॉस्टल चली गई. लेकिन तुम तो कभी न आने के लिए जा चुकी थी.

पता है मां, जब मेरी क्लास के बच्चों के मम्मी-पापा उन्हीं लेने आते थे तो मुझे बहुत बुरा लगता था. मैं रोने लग जाती थी. मैं सोचती थी कि मेरे मम्मी-पापा मुझे लेने क्यों नहीं आते. पापा से जब पूछती तो वो कहते थे कि अगर मैं अच्छे पढूंगी और क्लास में फर्स्ट आउंगी तो आप मेरा रिजल्ट देखने मेरे स्कूल चलेंगी.

मैंने बहुत सारी कक्षाओं में टॉप भी किया, लेकिन तुम कभी नहीं आई. पापा ने मुझसे बस झूठ कहा था.
मैं जब भी गर्मी की छुट्टियों में दादा-दादी के घर जाती तो उनसे भी यही पूछती, ” मम्मी घर आ गई क्या?”
वो कह देते थे कि मम्मी भगवान के पास गई हैं, थोड़े दिन में वापस आ जाएंगी. मेरी छुट्टियां खत्म हो जाती थीं, लेकिन वो थोड़े दिन कभी खत्म नहीं होते. तुम भगवान के पास से वापस नहीं आती थी.

पता है, मैं हर साल अपने जन्मदिन पर भी तुम्‍हारा इंतज़ार करती थी. शायद तुम मुझे कोई सरप्राइज देने ही आ जाओ. मैं तुम्‍हारे चक्कर में दादा से भी लड़ लेती थी. मुझे लगता था कि मैं जब भी घर जाती थी, तभी वो लोग आपको कहीं भेज देते थे. आखिर में परेशान होकर दादा-दादी ने समझाया कि अब तुम इस दुनिया में नहीं हो. अब तक तो मैं तुम्हारा चेहरा भी भूल चुकी थी, फिर दीदी ने तुम्हारी फोटो दिखाकर बताया कि ये मम्मी हैं. पापा ने मेरा हमेशा बहुत ध्यान रखा. तुम्हारी कमी को पूरा करने की हर कोशिश की. लेकिन उनकी कोशिशों के बावजूद मुझे तुम्हारी याद आई.

लेकिन धीरे-धीरे समय निकल गया. मैं बड़ी होती गई. अब पापा मेरे दोस्त बन गए हैं. घंटों फ़ोन पर बात करते हैं. मेरी सारी बकवास सुनते हैं. मैं चाहे जब फ़ोन कर दूं, तब भी मुझसे बात करते हैं. कभी ये नहीं कहते कि अभी ऑफिस में हैं या अभी काम में व्यस्त हैं. मेरे लिए हमेशा समय निकालते हैं. हम बच्चे भी उनका खूब ख्याल रखते हैं. हर साल मदर्स डे पर उनको बधाइयां देते हैं. वो दुखी जरूर होते हैं, लेकिन हमें ये दिखाते नहीं. तुम भी नहीं हो, जिससे वो अपने मन की बातें शेयर कर लें.

मेरी रूममेट जब अपनी मम्मी से बात करती है तो मेरा भी मन होता है कि शाम को तुम्हारा फ़ोन आए और मुझे भी डांट-फटकार सुनने को मिले. मैं भी अपने दोस्तों, भैया, दीदी और पापा की शिकायत तुमसे करूं. तुम्हारे साथ शॉपिंग करने जाऊं. जब घर से आऊं तो तुम मेरा बैग पैक करो. तुम और मैं दोस्त बन जाएं….
क्योंकि तुम मुझे बहुत याद आती हो….

– उदिता परिहार

साभार न्यूज18

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