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विशेष :: अब जेलों में बंद कैदियों की डीटेल जानकारी वेबसाइट पर, बिहार सहित कई राज्यों में लीगल असिस्टेंस एस्पेब्लिसमेंट शुरू

डेस्क : आने वाले दिनों में देश भर के जेलों में बंद कैदियों के बारे में डीटेल जानकारी वेबसाइट पर मिलेगी और इस बात की जानकारी मिल पाएगी कि कौन से कैदी को वकील मिला है किसे नहीं। कौन से कैदी कितने समय से जेल में बंद है क्या वह जमानत पाने का हकदार है? इन तमाम बातों की जानकारी नालसा के वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगी।

जेल से विडियो कॉन्फ्रेसिंग से कैदी से होगी बात
इस आधार पर नैशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (नालसा) के ऐसे कैदियों को लीगल सहायता उपलब्ध कराएगी। साथ ही राजधानी दिल्ली समेत देश भर में नालसा ने कैदियों से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जेल से बातचीत की व्यवस्था की है। इसके लिए देशभर के स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के दफ्तर में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा शुरू की जा रही है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि देश भर में हर जरूरतमंद को लीगल सहायता उपलब्ध हो। नालसा के चेयरमैन दीपक मिश्रा ने बताया कि जो लोग भी फ्री लीगल ऐड के हकदार हैं वह अन्य सहायता के अलावा कंज्यूमर फोरम मामले में भी सहायता पा सकते हैं।

जस्टिस दीपक मिश्रा ने बताया कि राजधानी दिल्ली, गुजरात, यूपी, बिहार, झारखंड में लीगल असिस्टेंस एस्पेब्लिसमेंट शुरू किया गया है और देश भर में 15 जुलाई तक प्रत्येक स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी में ये सुविधा शुरू हो जाएगी इसके तहत विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये देश भर का प्रत्येक जेल जुड़ जाएगा। कैदियों के रिश्तेदार और वकील उनसे विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात कर सकते हैं। नालसा ये सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी कैदी बिना लीगल सहायता के न रहे और इसके लिए विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उन्हें सहायता दी जाएगी। अगर कोई कैदी जेल में है और उसने अपील नहीं की है तो वह नालसा के वकील को बता सकता है ताकि उसकी ओऱ से अपील दायर हो सके। जस्टिस मिश्रा ने बताया कि अगर किसी का कंज्यूमर मुद्दा विवाद है और वह अगर लीगल सर्विस अथॉरिटी की धारा-12 के तहत फ्री लीगल सहायता पाने का हकदार है तो वह इस मामले में भी लीगल सहायता मांग सकता है।

कौन से कैदी कितने समय से जेल में, ये भी जानकारी
नालसा चेयरमैन जस्टिस मिश्रा ने बताया कि नालसा ने एक वेब ऐप्लिकेशन विकसित किया है ताकि कोई भी कैदी बिना वकील के न रहे। एक सॉफ्टवेयर के जरिये देशभर के डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी अपने जूरिडिक्शन के प्रत्येक जेल में बंद कैदियों की लिस्ट वेब एप्लिकेशन में अपलोड करेंगे और इस तरह महीने भर में उम्मीद की जा रही है कि देश भर के कैदियों का डिटेल अपलोड कर दिया जाएगा और उसके बाद इसे पब्लिक डोमेन में डाला जाएगा। इसके तहत कैदी की डीटेल होगी कि वह किस जेल में है। उसका नाम क्या है। वह कितने समय से जेल में बंद है। उसके खिलाफ कौन सी धाराएं है। क्या उसने प्राइवेट वकील किया है? क्या उसके पास पैनल वकील है या फिर उसके पास कोई वकील नहीं है। इन तमाम तथ्यों की जानकारी वेब पर मिलेगी।

अगर वकील मिला है तो कौन वकील हैं। केस का स्टेटस क्या है। अगली तारीख क्या है और सुनवाई किस स्टेज में है। साथ ही ये भी जानकारी होगी कि क्या कैदी सीआरपीसी की धारा-436 ए के तहत जमानत पाने का हकदार है। इस धारा के तहत (फांसी की सजा को छोड़कर) तय सजा से आधे से ज्यादा जेल काटे जाने के बाद जमानत का प्रावधान है। इन तमाम जरूरतमंदों को लीगल सहायता उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया गया है।

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