पीलीभीत (नाज़िम खान) : स्थानीय जिला अस्पताल मे बाघ हमले में घायल से मिलने पहुंची डीएम शीतल वर्मा ने मीडिया को बताया कि पीड़ित का इलाज अच्छे से चल रहा है। बाद में घायल की हालत बिगड़ती देख उसे बरेली जिला अस्पताल एम्बुलेंस से भेजा गया । बरेली अस्पताल से एम्बुलेंस में साथ गए दारोगा जी के लौटते ही सब कुछ बदल गया | घायल नेतराम घंटों अस्पताल में तड़पता रहा | उसका पुत्र इधर उधर डॉक्टरों से मदद की गुहार लगाता रहा | आखिर घायल नेतराम का पुत्र से बड़े डॉक्टर साहब मिले तो उन्होंने कहा कि हम क्या करें ? इस मरीज के लायक अस्पताल में दवाएं तो हैं ही नहीं | इस मरीज को यहाँ एडमिट कर क्या करें ? इतना सुनते ही नेतराम का पुत्र समझ गया कि बरेली के इस अस्पताल में उसके पिता का इलाज संभव नहीं है | लिहाजा उसने पिता को तड़पते हुए देख आनन-फानन में घर वालों से कैसे भी रात में ही रूपये का इन्तजाम कर बरेली पहुँचने को कहा | रात में ही उधार मांग कर रुपए लाये गए । देर रात बरेली के गंगाशील अस्पताल में नेतराम को भर्ती कराया गया | घायल नेतराम के पुत्र वेदप्रकाश ने बताया कि गंगाशील अस्पताल में उसके पिता को भर्ती करने से पहले 20 हजार रूपये जमा करवाए गए और रात से सुबह तक 4 हजार 520 रूपये की दवा पिता की आ चुकी है । नेतराम गंगाशील अस्पताल के इमेरजेंसी वार्ड में भर्ती है । वेदप्रकाश ने यह भी बताया कि उसे किसी भी तरह की आर्थिक मदद प्रशासन से नहीं मिली है ।
इससे साफ़ है की प्रशासन ने पीलीभीत से घायल नेतराम को बरेली भेजने के बाद कोई सुध नहीं ली । लिहाजा यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रशासन के बाघ हमले में घायल नेतराम को हर तरह का अच्छा इलाज देने के दावे अभी तक झूठे हैं । घायल की जिन्दगी बचाने में प्रशासन की कोई दिलचस्पी नहीं है । बल्कि पीलीभीत से घायल नेतराम को बरेली भेजकर प्रशासन ने अपने सिर से बला टाली है ।बरेली जिला अस्पताल का रवैया बेहद संवेदनहीन रहा है | जिसको भी संज्ञान में लेकर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए शुक्रवार को टाइगर हमले की जानकारी देने वाले नेतराम ने ही बाघ हमले कि सूचना वन विभाग को दी । मौके पर पहुंची वन विभाग टीम को जानकारी दे रहे थे कि तभी बाघ ने नेताराम पर भी पीछे से हमला कर दिया । मौके पर वन बिभाग ने हबाई फायर करके नेताराम को बाघ से छुडा लिया उसके बाद उसके इलाज का जिम्मा अपने सर लिया था।