कार्तिक पूर्णिमा का चांद इस बार पूरे यौवन में नजर आया। बीती रात का सुपरमून अन्य रातों की अपेक्षा 30 फीसद अधिक खुबसूरत नजर आ रहा था। चंद्रमा में यह निखार 68 साल बाद नजर आया। चंद्रमा की सुंदरता के किस्से-कहानी आम है, लेकिन सूपरमून का जिक्र पुरानी सभ्यता व खगोल ग्रंथ में नहीं मिलता। सूपरमून शब्द का वर्ष 1979 से शुरू हुआ। इसे ज्योतिषी रिचर्ड नौले प्रयोग में लाए। सूपरमून तब बनता है, जब चांद पूर्णिमा के समय अपनी निकटतम स्थिति के 90 फीसद या उससे भी अधिक भीतर आ जाता है। इस बार वह अपनी कक्षा मे चक्कर लगाते हुए पृथ्वी के बेहद करीब आ गया। चंद्रमा अन्य रातों की तुलना में बीती रात 14 फीसद बड़ा नजर आ रहा था। यह नजारा बेहद अनूठा है। इसे कैमरे में कैद करने के लिए चंद्रमा पर शोध कर रहे वैज्ञानिको व चित्रकार काफी उत्साहित दिखें। पूरी रात चांद अपनी चमक से पृथ्वी को भी रोशन करती रही और कई लोगों ने इस अद्भुत नजारे को कैमरे में कैद भी कर लिया।
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