जालंधर(आकाश/राजीव धम्मि/गगनदीप सिप्पी):आज जालंधर ट्रैफिक पुलिस में तैनात ए.डी.सी.पी एव ए.सी.पी मॉडल टाउन ने आज साँझा ट्रैफिक ऑपरेश की शुरुवात जालंधर के मॉडल टाउन से की, बता दे मॉडल टाउन में शाम के समय ट्रैफिक जाम की बहुत बड़ी समस्या होती है।इस मुहीम के तहत पुलिस ने दो पहिया वाहन चालकों को चालान न काटकर उन्हें हैलमेट दिए गए एव उन्हें ट्रैफिक रूल्स की जानकारी दे जागरूक किया गया।
आज जब ट्रैफिक पुलिस ने यहाँ ट्रैफिक को दुरुस्त करने के लिए “नो पार्किंग” एरिया में खड़े वाहनों के स्टीकर चालान किये तो वहाँ मौजूद दुकानदारों ने इसका विरोध किया पहले तो कुछ दुकानदारों ने कहा कि अगर उनकी गाड़ियो के चालान किये है तो नो पार्किंग में खड़ी सभी कारो के चालान किये जाए।
ट्रैफीक पुलिस ने कुल 16 स्टीकर चलान नो पार्किंग में खाड़े वाहनों के किए।ट्रैफिक पुलिस की इस जायज करवाही को देख मॉडल टाउन शॉपकीपर्स एसोसिएशन के कुछ सदसयो ने इस का कड़ा विरोध करते हुए मार्किट के प्रधान रोहन सहगल को वहाँ बुला लिया और प्रधान ने आते ही ए.डी.सी.पी ट्रैफिक एव ए.सी.पी मॉडल टाउन को चल रही नो पार्किंग जोन में चालान काटने की इस करवाही को तुरंत रोकने को कहा परन्तु ए.डी.सी.पी ट्रैफिक ने प्रधान से यह कहते हुए अपनी करवाही आगे बढ़ी की “हम नो पार्किंग एव रॉंग पार्किंग में खड़े व् बवाहनों के ही चालान काट रहे है, जो मॉडल टाउन एरिया में ट्रैफिक वेवस्था दुरुस्त करने लिये सही है”। प्रधान ने जब देखा पुलिस करवाही नहीं रोक रही तो उसने येलो लाइन पार्किंग होने का हवाला देते हुए करवाही रोकने की धमकी दी परंतु पुलिस ने अपनी करवाही जारी रखी।
जब प्रधान ने देखा की पुलिस नहीं मान रही तो मार्किट के प्रधान रोहन सहगल ने पुलिस को दुकाने बंद कर धरना देने की धमकी दी और सभी दूकानदार अपनी दुकानें बंद कर प्रधान के साथ धरने पर बैठ गए एव पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे बाजी करने लगे।प्रधान के ऐसा करने से माहौल और गरमा गया एव पुलिस पर धरना दे कर दबाव बनाया गया एव मांग रखी गई की ट्रैफिक पुलिस अपनी चालान की कार्यवाही तुरत रोके, काटे हुए चालान वापिस ले। बता दे की मोजूदा मॉडल टाउन शॉपकीपर्स एसोसिएशन के प्रधान मोजूदा अकाली सरकार में युथ नेता भी है।
कल जो कुछ मॉडल टाउन में हुआ उसे देख हमारे कुछ सवाल है आम जमता से:-
क्या ट्रैफिक पुलिस पर इस तरह दवाब बना सही था?
क्या हम नहीं चाहते की हमारे जालंधर शहर की ट्रैफिक वयवस्था सही?
क्या आज कल मोजूदा प्रधान पुलिस से भी ऊपर हो गए है?
क्या ऐसे हर छोटी बात पर घरना लगाना या धरने पर बैठ जाना उचित है?