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बिहार : विज़न सिविल सेवा संस्थान के छात्र बने प्रेरणास्रोत।

20170203_161517दरभंगा : वसंतपंचमी (सरस्वती पूजा)शिक्षा से जुड़े लोगों और नवयुवकों के लिए हमेसा से हीं आकर्षण का विषय रहा है । जहाँ वसंतपंचमी से शिक्षा से जुड़े लोगों की आस्था जुड़ी है वहीँ विद्यार्थियों में एकजुटता, समरसता और प्रबंधन के कौशल विकास में भी बरी भूमिका है। वर्तमान परिवेश में बदलते विचारों और मान्यताओं के बीच पूजा के तौर तरीकों में भी विकृतियां आयी है । हर पूजा पंडाल की भांति ही समाज में सरस्वती पूजा के भी कई संघ है, उन संघों की अपनी व्यवस्था शैली और तौर-तरीके हैं । कहीं भक्तिमय भजन , किर्तन तो कही फ़िल्मी गानों तो कहीं अश्लील एवं फूहर गानों पर लोग थिरकते नजर आते हैं। हर पंडाल संघ के अपने मायने और विचार है। इस बदलते परिवेश में कही न कही फूहड़ता का परिचय देने वालों की बहुलता नजर आती है जिसे लोग आज के फैशन का जामा पहनाने की कोशिश करते है । पूजा के दौरान बजते फुहार गीत औऱ विसर्जन में हुरदंग का माहौल आज नवयुवकों का आदर्श बनता जा रहा है। इसी बीच दरभंगा के बंगालिटोला, लहेरियासराय स्थित विज़न सिविल सर्विसेज जो की बीपीएससी, यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग एवं रेलवे की तैयारी कराने के लिए प्रख्यात है यहाँ के संचालक एवं विद्यार्थीयों ने अपने पूजा व्यवस्था से समाज को एक नई दिशा देने और समाज में बढ़ती विकृति को धत्ता बताते हुए नवनिर्माण के लिए प्रेरित करते हुए प्रेरणास्रोत बनते हुवे समाज में एक मिसाल कायम की है। जहाँ समाज में फूहड़ता का परिवेश है वहीँ विज़न सिविल सेवा संस्थान बंगालिटोला, लहेरियासराय, दरभंगा के सरस्वती पूजा पंडाल में प्रथम दिन माँ शारदे के मूर्ति पूजन के उपरांत अष्टजाम के पावन धुन के साथ दूसरे दिन विद्यार्थियों ने माता की प्रतिमा के समक्ष दिनभर अपने आगामी परीक्षाओं की तैयारी के रूप में माँ को पूजा अर्पण किया । तीसरे दिन भजन-किर्तन के साथ माता के भावपूर्ण विदाई हुई ।

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विज़न सिविल सेवा संस्थान के संचालक श्री अजय किशोर ने स्वर्णिम के संवाददाता से बात करते हुये बताया की समाज में आती विकृतियों के बीच हमारा ये छोटा सा प्रयास है की समाज को एक नया आयाम दे पायें। इनका ये प्रयास समाज के लिये एक बेजोड़ उदहारण के साथ-साथ बड़ा सराहनीये कदम है। अगर समाज इस उदाहरण से सीखे और विद्या की अधिष्ठात्री माँ शारदे की पूजा अर्चना इसी तरह सात्विक और सही ढंग से करे तो निश्चित ही समाज के विकृतियों में कमी आयेगी। सामान्यतः फुहर गानों और हुरदंग से होने वाले झगड़े जैसी समस्याओं में कमी आयेगी और समाज में एक जुटता, समरसता बढ़ेगी।

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