लखनऊ(राज प्रताप सिंह)- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेशों के बाद भी तहसील क्षेत्र के अधिकांश विभागों के मुखिया अपने तैनाती स्थल पर रात्रि निवास करना जब मुनासिब नहीं समझ रहे हैं तो कैसे पूरी होंगी शासन की मंशा हर ब्यक्ति को त्वरित न्याय दिलाने की जब फरियादियों को अपने तैनाती स्थल पर अधिकारी ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में तैनात अधिकारी अपने ऐश आराम की जिंदगी मैं तकलीफ नजदीक नहीं आने देना चाह रहे हैं। इसी वजह से सरकारी निवास स्थल पर रात निवास करने से अधिकारी परहेज कर रहे हैं। सरकारी आवासों पर अधिकारियों के न रहने से लाखों की लागत से बने या सरकारी आवास खंडहरों में तब्दील हो रहे हैं। फरियादियों के फोन बजते रहते हैं लेकिन अधिकारियों के कान तक फोन की घंटी की आवाज नहीं जाती है। मालूम हो कि शासन की लाख कोशिशों के बावजूद भी अधिकारियों की बिगड़े रवैया ठीक होता नजर नहीं आ रहा है। ऐशो आराम तलब जिंदगी जीने वाले इन अधिकारियों की नजर में गरीबों की पीड़ा व दुख तथा परेशानियों का कोई मतलब नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार,बीडियो, पशु चिकित्सक, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षक व चिकित्सक सहित लगभग उन समस्त विभागों के अधिकारी जिनको अपने तैनाती स्थल पर सरकारी आवास मिले हैं वह उन सरकारी आवासों में निवास न करके जिला मुख्यालय प्रवास कर रहे हैं ।तहसील के अधिवक्ता बताते हैं की तहसीलदार बीकेटी का सरकारी आवास में बड़ी-बड़ी घास एवं कटीली झाड़ियां उगी हुई हैं। तहसीलदार द्वारा कभी भी इस सरकारी आवास में रात्रि निवास नहीं किया गया है जिससे लाखों की लागत से बना यह सरकारी आवास खंडहर में तब्दील हो रहा है। गौरतलब बात यह है की राजधानी की बक्शी का तालाब तहसील मुख्यालय उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदारों,राजस्व निरीक्षकों व अन्य राजस्व कर्मियों प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अधीक्षकों, चिकित्सकों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात तमाम अन्य अधिकारियों कर्मचारियों को शासन स्तर से सरकारी आवासीय सुविधा मुहैया कराई गई है।इसके बावजूद भी यहां तैनात अधिकारी व कर्मचारी अपने तैनाती स्थल पर प्रवास नहीं कर रहे हैं। जिससे एक तरफ जहां शासन द्वारा इन अधिकारियों के लिए करोड़ों खर्च कर बनाए गए यह सरकारी आवास खंडहर में तब्दील हो रहे हैं।वहीं दूसरे तरफ इन आवासों में अधिकारियों द्वारा निवास न करने से फरियादियों को त्वरित न्याय दिलाने की शासन की मंशा पर पानी फिर रहा है।मजे की बात तो यह है कि आवास के साथ साथ सरकारी गाड़ियों की सुविधाओं से लैस जिला प्रशासन की कड़ी के इन अधिकारियों के दोहरे आवासों पर इनके मातहतों का कब्जा है। किसी भी अनहोनी घटना की खबर पर मोबाइल की एक घंटी पर ये अधिकारी सरकारी डीजल जला कार जिला मुख्यालय से सीधे मौके पर पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा देते हैं। लेकिन यह आधिकारी फरियादियों को कभी अपने तैनाती स्थल पर नहीं मिलते हैं। खबर है कि जिम्मेदार अधिकारियों के क्षेत्र से पलायन करने के बाद उनके मातहत भी अपना मुख्यालय छोड़कर जिला मुख्यालय पर आ फटकते हैं। अपवादस्वरूप भले ही कोई नेक अधिकारी अपने तैनाती स्थल पर प्रवास कर अपने नैतिक मूल्यों के लिए आदर्श हो लेकिन तहसील के अंतर्गत तैनात बहुसंख्यक अधिकारी अपने तैनाती स्थल पर प्रवास न कर अपने नैतिक मूल्यों के लिए आदर्श हो लेकिन तहसील क्षेत्र के अंतर्गत तैनात बहुसंख्यक अधिकारी अपने तैनाती स्थल पर प्रवास न कर राजधानी की पास कॉलोनियों मैं रह रहे हैं। उप जिलाधिकारी राजकमल यादव आई ए एस से जब इस बाबत बात की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त मामले की जांच की जाएगी यदि सरकारी आवास आवंटित होने के बावजूद अधिकारी अपने आवासों में नहीं रह रहे हैं तो जांच कर कार्यवाई की जाएगी
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