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बिहार :: विश्व का पहला रामायण विश्वविद्यालय जहां पढ़ाया जाएगा कर्मकांड

पटना : राजधानी से 50 किलोमीटर दूर वैशाली जिले के कोनहरा घाट स्थित मठ में दुनिया का पहला और अपनी तरह का अकेला रामायण विश्वविद्यालय शुरू किया जा रहा है। इसके लिए 56 कमरे तैयार किए गए हैं। विश्वविद्यालय के लिए 25 एकड़ जमीन ली गई है।

पटना के महावीर मंदिर न्यास समिति द्वारा संचालित इस विश्वविद्यालय में रामायण, कर्मकांड, प्रवचन व आयुर्वेद की पढ़ाई होगी। यह मूलभूत सुविधाओं से युक्त उच्च शिक्षा व रिसर्च की सुविधा देने वाले किसी भी अन्य आधुनिक विश्वविद्यालय जैसा ही होगा।2500 विद्यार्थियों के लिए सीटों की व्यवस्था के साथ इस विश्वविद्यालय में सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी। साथ ही इसे रोजगारपरक भी बनाया जाएगा। विद्यार्थियों को यहां वाई-फाई की सुविधा भी दी जाएगी और विदेशी भाषाओं से भी उनके ज्ञान को जोड़ा जाएगा। आप सोच में पड़ गए कि धार्मिक ग्रंथों का विदेशी भाषाओं से क्या संबंध! चौंकिए मत! यह नालंदा विश्वविद्यालय की धरती है। ह्वेन सांग जैसे चीनी यात्री भी यहां आकर इसकी महिमा का गुणगान कर चुके हैं। इस विश्वविद्यालय में धर्म की इस शिक्षा को वैश्रि्वक स्वरूप देने के लिए रामायण, गीता, ज्योतिष आदि की पढ़ाई हिंदी, संस्कृत के अलावे कई विदेशी भाषाओं में भी कराई जाएगी।

इससे वैश्र्विक स्तर पर इसके प्रसार के साथ ही तकनीक-सुलभ धर्म ज्ञान प्रशिक्षुओं को मिल सकेगा। साथ ही धर्म से जुड़े इन प्रशिक्षुओं के लिए वैश्रि्वक रोजगार की संभावनाएं भी उपलब्ध होंगी। यहां धार्मिक रीति-रिवाजों, पूजा-पाठ आदि संपन्न कराने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। तो अगर आप ढोंगी बाबा या अल्पज्ञान पंडितों से तंग आ गए हैं तो कुछ वषरें का इंतजार कीजिए..हो सकता है जैसे लोग हॉवर्ड और ऑक्सफोर्ड की डिग्री दिखाकर अपने ज्ञान का सबूत देते हैं, इससे निकले प्रशिक्षु भी इससे पढ़ा पंडित होने का मार्क लेकर घूमें।

महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि इस विवि में चार विषयों की पढ़ाई पर पर विशेष जोर रहेगा। ये हैं- कर्मकांड, वाल्मीकि रामायण, प्रवचन एवं आयुर्वेद। यहां वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस, वेद-उपनिषद एवं महाभास आदि की पढ़ाई की जाएगी। विश्वविद्यालय में खगोल भौतिकी व खगोल विद्या की भी पढ़ाई होगी। विभिन्‍न विषयों के पांच साल के विशेष पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे। कुणाल ने बताया कि वे संस्कृत, हिंदी, स्थानीय भाषाओं और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों की भाषाओं में प्रचलित रामायण का संग्रह, संरक्षण व प्रचार-प्रसार करेंगे। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रचित रामायण पाठ्यक्रम का मूल आधार होगा, लेकिन रामायण के आधार पर रचित अन्य साहित्यिक कृतियों जैसे अध्यात्म, आनंद और कालिदास कृत ‘रघुवंश’ को भी पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे।

होगा निजी विश्वविद्यालय 

आचार्य कुणाल ने बताया कि यह एक निजी विवि होगा, जिसमें  इसी साल से पढ़ाई​ आरंभ करने की योजना पर काम हो रहा है। लेकिन, क्‍या कोई धार्मिक संस्‍था निजी विवि खोल सकती है। आचार्य कुणाल ने स्‍वीकर किया कि राज्य सरकार के निजी विवि  अधिनियम के तहत कोई भी धार्मिक संस्था निजी विश्वविद्यालय नहीं खोल सकती है। ऐसे में महावीर मंदिर न्यास समिति ने शिक्षा विभाग से अधिनियम में संशोधन का आग्रह किया है।

इसी साल से पढ़ाई की उम्मीद

आचार्य कुणाल के अनुसार उन्‍हें उम्‍मीद है कि राज्य सरकार जल्द ही अधिनियम में संशोधन कर देगी। इसका आश्‍वासन शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने दिया है। शिक्षा विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई प्रारंभ कर दी जाएगी।

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