राज्यसभा ने गुरुवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी। इससे एक जुलाई से देश में ऐतिहासिक कर सुधार प्रणाली जीएसटी को लागू करने का रास्ता साफ हो गया।
राज्यसभा में चर्चा के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष को आश्वस्त किया कि नई कर प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा और कृषि पर कर नहीं लगाया जाएगा। सरकार को मिले कांग्रेस के समर्थन के बाद इन विधेयकों पर लाए गए विपक्ष के संशोधनों को उच्च सदन ने खारिज कर दिया।
राज्यसभा ने केंद्रीय जीएसटी विधेयक 2017, एकीकृत जीएसटी विधेयक 2017, संघ राज्य क्षेत्र जीएसटी विधेयक 2017 और जीएसटी से जुड़े राज्यों के प्रतिकर विधेयक को सम्मिलित चर्चा के बाद लोकसभा को ध्वनिमत से लौटा दिया। लोकसभा 29 मार्च को इन विधेयकों को मंजूरी दे चुकी है। धन विधेयक होने के कारण इन चारों विधेयकों पर राज्यसभा में केवल चर्चा करने का अधिकार था।
टैक्स पर संसद का अधिकार कम नहीं होगा : जेटली
जीएसटी बिलों पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष को भरोसा दिया कि इन विधेयकों से कराधान के मामले में संसद के अधिकारों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संसद ने संविधान में संशोधन कर जीएसटी परिषद को करों की दर की सिफारिश करने का अधिकार दिया है। जीएसटी परिषद संघीय निर्णय करने वाली संस्था है।
जेटली ने बताया कि संविधान संशोधन के आधार पर जीएसटी परिषद को मॉडल कानून बनाने का अधिकार दिया गया। जहां तक कानून बनाने की बात है तो यह संघीय ढांचे के आधार पर होगा, वहीं संसद और राज्य विधानसभाओं की सर्वोच्चता बनी रहेगी। हालांकि इन सिफारिशों पर ध्यान रखना होगा, क्योंकि अलग-अलग राज्य अगर अलग दर तय करेंगे तो अराजक स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन कर यह सुनिश्चित किया गया है कि यह देश का एकमात्र ऐसा कर होगा जिसे राज्य एवं केंद्र एक साथ एकत्र करेंगे। जेटली ने कहा कि कर के ऊपर कर लगने से मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति बढ़ती है। इसलिए सारे देश को एक बाजार बनाने का विचार आया। जेटली ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा जीएसटी के बारे में अपना एक विधान लाएगी। इससे वह भी इस व्यवस्था में शामिल हो जाएगा।