दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में आज स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर विभिन्न विभागों में निबंध प्रतियोगिता,परिचर्चा, संगोष्ठी एवं वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
विश्वविद्यालय गृह विज्ञान विभाग सह महिला अध्ययन में विभाग के सभी छात्राओं के बीच निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । निबंध का विषय ‘‘विद्यालयों में बालिकाओं के नामांकन में कमी के कारण एवं निदान’’ इस निबंध प्रतियोगिता में कुल 25 प्रतिभागी ने भाग लिया । इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. निर्मला झा, सेवा निवृत प्राचार्य डॉ. श्याम चौधरी, डॉ. नीलु सिन्हा एवं प्रयोग प्रदर्शिका डॉ. उषा कुमारी उपस्थित थी।
समाजशास्त्रा विभाग में विश्वविद्यालय के 45वाँ स्थापना दिवस समारोह के उपलक्ष्य में छात्र/छात्राओं के बीच वाद-विवाद सह संगोष्ठि का आयोजन किया गया। वाद-विवाद सह संगोष्ठि का विषय ‘‘शराबबंदी का समाज पर प्रभाव’’ था। समाजशास्त्र विभाग के अतिरिक्त भौतिक शास्त्र एवं रसायनशास्त्र विभाग के छात्र/छात्राओं ने भी प्रतिभागी के रूप में भाग लिया। संगोष्ठि की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. मीरा मिश्रा ने की। संगोष्ठि में बीज-भाषण प्रस्तुत करते हुए प्रो. विनोद कुमार चौधरी ने बिहार में शराबबंदी के विस्तार से प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रो. गोपीरमण प्रसाद सिंह ने समापन भाषण प्रस्तुत करते विस्तार से चर्चा की । निर्णायक मंडल में हुई वाद विवाद में प्रथम भौतिकी शास्त्र के रमण कुमार झा एवं समाज शास्त्र सौरभ कुमार दास घोषित हुआ।
म०का०सि० सामाजिक विज्ञान संस्थान एवं शोध पुस्तकालय (राज पुस्तकालय) में ‘‘महाराजा कामेश्वर सिंह के आर्थिक एवं शैक्षणिक योगदान‘‘ विषय पर परिचर्चा का आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ० राम भरत ठाकुर के अध्यक्षता में आयोजित किया गया। परिचर्चा को प्रारम्भ करते हुए डॉ० ठाकुर ने कहा कि महाराजा कामेश्वर सिंह बड़े ही उद्यमशील एवं किसानों के हिमायती थे। उनके 14 औद्योगिक इकाइयाँ थी । इन उद्योंगों की शुरूआत उन्होंने कृषि आधारित उत्पादों पर की थी, जिससे अधिक से अधिक किसानों को उसके उत्पाद के मूल्य तथा रोजगार मिल सकें।
ल०ना० मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के पूर्व कुलपति प्रो० राज किशोर झा ने कहा कि महाराजा किसानों को खेती के लिए जमीन दिया करते थे महाराजा सिर्फ किसानों से लगान की वसूली पर ही आधारित नहीं रहते थे बल्कि अपने राज को आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिए नये-नये आय के श्रोत ढूंढ़ते रहते थे।
राज पुस्तकालय के प्रताप नारायण नें कहा कि डॉ० सर गंगानाथ झा द्वारा 1885 में स्थापित राज पुस्तकालय तथा 05 अगस्त 1972 को ल०ना० मिथिला विश्वविद्यालय की स्थापना के पश्चात 23 नवम्बर 1975 को विश्वविद्यालय को दान स्वरूप मिला। इसमें महाराज का बड़ा योगदान था जिसके कारण राज पुस्तकालय का नाम महाराजा के नाम से ही जाना जाता है। परिचर्चा में अन्य लोगों के अतिरिक्त शंभू दास, सिद्धेश्वर पासवान, लालबाबू यादव आदि ने भाग लिया।
विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग में विश्वविद्यालय शिक्षा-व्यवस्था विषयक वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गयी। अमृता कुमारी, प्रियंका कुमारी, अभिषेक कुमार शर्मा एवं ज्वालाचन्द्र चौधरी ने पक्ष में तथा सियाराम मुखिया, प्रियंका, विश्वनाथ शर्मा, अनुराधा एवं कुमारी कान्ता ने विपक्ष में अपने-अपने मंतव्य प्रस्तुत किये। पक्ष के वक्ताओं में जहाँ मिथिला और विश्वविद्यालय की समृद्ध पंडित परंपरा का उल्लेख किया, वहीं विपक्ष के वक्ताओं ने पुस्तकालय, वर्ग कक्षा की जर्जर स्थिति, पाठ्यक्रम की रुढ़िवादिता एवं परीक्षा में कदाचार के मुद्दों को उठाया । इस वाद-विवाद प्रतियोगिता में ज्वालाचंद्र चौधरी ने प्रथम, सियाराम मुखिया ने द्वितीय तथा विश्वनाथ शर्मा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। निर्णायक मंडल में विभागाध्यक्ष डॉ. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह, डॉ. विजय कुमार एवं उमेश कुमार शर्मा थे। वरीय शोध प्रज्ञा ऋचा मिश्रा, शोध प्रज्ञ शंकर कुमार, हरिओम कुमार शाह, सरोजनी गौतम एवं पार्वती कुमारी ने वाद-विवाद प्रतियोगिता में व्यवस्थागत सहयोग किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. चन्द्रभानु प्रसाद ने की तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विजय कुमार ने किया ।