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बिहार :: डब्ल्यूआईटी में तेरहवें अधिष्ठापन सत्र का आयोजन

दरभंगा : महिला प्रोद्योगिक संस्थान के तेरहवें अधिष्ठापन सत्र को संबोधित करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि नौकरी पानेवाला बनने के बजाय नौकरी देने वाला बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज जो वर्त्तमान है कल भूत बन जाएगा तथा कल जो भविष्य था वह वर्त्तमान बन जाएगा। समय परिवर्तनशील है। समय और ज्ञान महत्वपूर्ण है। ज्ञान का सदुपयोग करना चाहिए। ज्ञान का उपयोग दोस्त बनाने के लिए़ तथा स्वयं को एक मानव बनने के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संस्था की स्थापना के उद्देश्य को पूरा करने में छात्राओं को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। किसी भी संस्था की पहचान भव्य भवनों से नहीं होती है। बल्कि उसकी पहचान छात्रों एवं शिक्षकों से होती है। शिक्षक सभी गुणवान होते हैं। उसका उपयोग छात्रों पर निर्भर करता है। छात्र शिक्षकों का उपयोग जिस तरह करेंगे उसी तरह वे अपने भविष्य का निमार्ण कर सकते है। 

उन्होंने कहा कि यहां पर नामांकित छात्राएं चार वर्षों के लिए आए है। वे इन चार वर्षों का किस तरह उपयोग करेगें यह उनपर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि यहां पर नामांकन से पूर्व वे स्कूल की छात्रा थी। अब विश्वविद्यालय प्रक्रिया में आ गयी है। अब उनसे उम्मीदें बढ़ गयी है। उन्होंने छात्राओं को आह्वान किया कि इंजीनियरिंग की छात्रा सिर्फ वर्ग अध्यापन पर ही निर्भर ना रहें। बल्कि अपने शिक्षकों के साथ पारस्परिक अध्ययन के विषय में विमर्श करें एवं अध्ययन की आदत डालें। शिक्षकों के साथ पारस्परिक विमर्श, पुस्तकों का अध्ययन तथा अनुभव को मिलाकर जो ज्ञान प्राप्ति होगी वह जीवन के हर क्षेत्रों में उपयोगी होता है। उन्होंने कहा कि आई.आई.टी. मुम्बई के साथ स्पोकेन ट्यूटोरियल के लिए विश्वविद्यालय के साथ एम.ओ.यू. हुआ है। जिसका लाभ यहाँ के छात्राओं को भी मिलेगा।
इस अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राजमणि प्रसाद सिंहा ने कहा कि विश्वविद्यालय में महिला प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना सही अर्थो में सीता के प्रति सच्चा आदर दिखलाता है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान छात्राओं को रसोईघर से निकालकर सीधा अभियंता बनने की राह दिखाता है। यह अपने आप में एक मिसाल है। बिहार के बच्चों में बहुत क्षमता है। यह कभी भी अपने-आपको राष्ट्रीय स्तर पर बनाने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने भगवान को कई रूपों में निर्माण किया । लेकिन एक समय ही ऐसा है जो सबों के लिए एक समान है। जो दूसरा उपयोग अधिक से अधिक कर पाता है वह जीवन में आगे बढ़ता है। जो उपयोग करने में पिछे रह जाता है वह हमेशा ही पीछे ही रहता है। इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो. जयगोपाल ने कहा कि युवा ही इस देश को नया रूप प्रदान कर सकता है। देश का भविष्य युवाओं पर निर्भर करता है। युवा जैसा देश बनाना चाहेंगे वैसा ही राष्ट्र का निर्माण होगा। उन्होंने छात्राओं का आह्वान किया कि वे नियमित रूप से वर्ग जाए। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. मुस्तफा कमाल अंसारी ने कहा कि छात्राओं को पाँच ‘एच’ पर ध्यान देना चाहिए। जो उस पर चला वह लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा।

उन्होंने छात्राओं का आह्वान किया और कहा कि वे खुश रहें। जो कुछ भी मिला है उसमें ही संतुष्ट रहें। पढ़ाई के प्रति ईमानदार रहें। लक्ष्य निर्धारण कर उस अनुरूप प्रयास करें। स्वस्थ्य रहें। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। जाति धर्म से ऊपर उठकर बड़ों के प्रति आदर का भाव रखें। साथ ही सोच ऊँची रखें। जो इन पाँच ‘एच’ पर कार्य करेगा उसके कदम गगन चुमेगी। आरम्भ में आगत अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक प्रो. एम. नेहाल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन एन.एन. झा ने एवं मंच संचालन डॉ. रश्मि ने किया।

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