लखनऊ, बीकेटी (राज प्रताप सिंह) : नवरात्र में देवी के मंदिर में जाकर पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व है। इन दिनों भगवती अपनों भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। राजधानी में बख्शी का तालाब के पास बना मां चद्रिका देवी मंदिर का अपना विशिष्ट महत्व है। वैसे तो यहां सालों भर दूर-दूर से लोग मां के दर्शन करने आते हैं,लेकिन नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। दूरदराज गांव से लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर मां चंद्रिका देवी के दर्शन के लिए आ रहे हैं। कहा जाता है कि माता के आश्वासन के बाद लक्ष्मण के बड़े पुत्र राजकुमार चंद्रकेतु भय से मुक्त हो गए थे।
बताते चलें कि चंद्रिका देवी मंदिर बख्शी का तालाब के पास गोमती नदी के किनारे स्थित है। ढाई सौ साल पुराने इस मंदिर में चंद्रिका देवी विराजमान हैं। स्कंद और कर्मा पूरन पवित्र पुस्तकों में इस मंदिर का उल्लेख है। मंदिर में मां चंद्रिका देवी तीन पिंडी(सिर)के आकार में विद्यमान हैं।मान्यता है कि यहां माता के दर्शन से मन की मुराद पूरी हो जाती है।
मां चंद्रिका देवी ने चंद्रकेतु को किया था भय से मुक्त
कहा जाता है कि लक्ष्मण के बड़े बेटे राजकुमार चंद्रकेतु एक बार गोमती से होकर गुजर रहे थे। अंधेरा होने पर उन्होंने सुरक्षा के लिए देवी की प्रार्थना की। एक पल के भीतर शांत चांद की रोशनी और देवी उनके सामने प्रकट हुईं और सुरक्षा का आश्वासन दिया। इसके बाद चंद्रकेतु भय से मुक्त हो गए।
ग्रामीणों को जंगल में मिली मां की प्रतिमा
लगभग ढाई साल पहले कुछ ग्रामीण घने जंगलों में घूम रहे थे। अगले दिन एक ग्रामीण को देवी की प्रतिमा का पता लगा। इस दौरान वहीं पर मंदिर को स्थापित कर दिया गया। इसके बाद मां चंद्रिका देवी की उपस्थिति को जानने के बाद पूजा की जाने लगी।
मां हर मुराद को करती हैं पूरा
भक्तों की मान्यता है कि मां हर मुराद को पूरा करती हैं। यहां पर लोग हवन,पूजन और मुंडन कार्य भी करते हैं। इसके साथ ही जब भक्त माता की दर्शन के लिए जाते हैं तो उन्हें पंचमुखी हनुमान गढ़ी मंदिर का दर्शन भी करने को मिल जाता है। वहीं,कई अन्य मंदिरों के भी दर्शन होते हैं।