मधुबनी/बेनीपट्टी/आकिल हुसैन संवाददाता : मुख्यालय के रेष्मा-निर्धन भवन के परिसर में बुद्धवार को अंबेडकर-कर्पूरी सामाजिक संस्थान के द्वारा द्रविड राजा बोधिसत्व रावण के जयंती का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता पवन कुमार भारती ने किया।संगोष्ठी में रामलखन राम ने महामना रावण, शहीद महिषासुर, वृतासुर, गयासुर, वाणासुर, हिरणकष्यप एवं महाप्रतापी राहू-केतु की शौर्यगाथा का गायन किया।मौके पर संस्थापक रामवरण राम ने कहा कि बहुजन समाज में जन्में संत महापुरुष, जिन्होंने स्वंतत्रता ,समानता एवं मानवाधिकारों के लिए अपनी वाणी, लेखनी एवं जन संघर्ष से दलित व पिछड़ों को सामाजिक व सांस्कृतिक गुलामी से मुक्त कराया वैसे महापुरुषों का नमन किया जाता है।श्री राम ने कहा कि रावण सोमरस एवं पषु बलि प्रथा के विरोधी थे। ब्रह्मपुरा पंचायत के मुखिया अजित पासवान ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि रावण लंका द्रविड के राजा थे।वे अरस्तू व प्लेटो के समान दर्षन के ज्ञाता थे। वहीं शत्रुध्न राम ने कहा कि रावण महाविद्वान व तपस्वी थे।जिसके कारण उन्हें दषानन कहा जाता था। अखिलेष यादव एवं चमेली देवी ने संयुक्त रुप से कहा कि रावण ने सीता का हरण करने के बाद भी उनका सतित्व भंग नहीं होने दिया।जिसके कारण रावण आज भी जनमानस में छाये हुए है। संगोष्ठी में विजय कुमार यादव, जगदीष दास, बौकू धनकार, नंदकिषोर सदा, महावीर राम, रामलोचन राम सहित कई लोगों ने रावण की व्याख्या एवं उनके कार्य की विस्तार से चर्चा की।
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