बीहट (बेगूसराय)/संवाददाता : भगवान तत्व है, तत्व अकाट्य है और अपरिवर्तनशील है। इसे ही हम मात्र भगवान कहते हैं। उक्त बातें सर्वमंगला अध्यात्म योग विद्यापीठ, सिमरिया धाम में ज्ञान मंच से स्वामी चिदात्मन महाराज ने कही। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान को जानकर ही समझना तत्वज्ञान कहलाता है। एक से तत्व, दो से योगिक, तीन या अधिक से मिश्रण होता है। यह शरीर भी एक मिश्रण है क्योंकि यह पांच तत्व से निर्मित है। जिसमें मुख्य है आकाश तत्व। बाकी चार तत्व वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी इसी में विलीन होता है। तत्वज्ञान के लिए आवश्यक है मंत्र तत्व और गुरु तत्व को समझना। मंत्र तत्व की गूढ़ता समझने वालों को प्राण मिलता है। गुरु तत्व ही एक ऐसा ज्ञान तत्व है जो मानव को विकार रहित बनाकर विशुद्ध प्रेम की प्रेरणा से ओतप्रोत करते हुए उसे एक तत्व करते हैं। अपनी बात जारी रखते हुए स्वामी चिदात्मन ने कहा कि तत्व ज्ञान अभेद भाव है और यही पूर्णता है। इसके मार्ग अनेक हैं स्वाध्याय, जप, पाठ, भजन, चिंतन, मनन आदि। जब इस प्रकार उपक्रम करते हैं तो हमे ईश्वर की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि मानव द्वारा आज विज्ञान की चकाचौंध में अपने संस्कार को भूलते जा रहे हैं। इस अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डा. जय गोपाल का स्वागत अंगवस्त्र और पाग से किया गया। इस मौके पर सत्यानंद, उमेश आनंद, संतोष आनंद, पद्मनाभ, राम लक्ष्मण, टनटन सहित उपस्थित थे।
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