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बिहार :: बाबा दशरथ मांझी के बाद अब बाबा श्याम सुन्दर चैहान

बेलागंज,गया (प्रभात कुमार मिश्रा) : ऐसे तो गया जिला पूर्व से हीं महापुरषों व कर्मयोगीयों की घरती रही है। जिनकी कृतिगाथा युगों युगों तक गायी जाती रही है। उन्ही कर्मयोगीयों में एक थे बाबा दशरथ मांझी जिन्हे पर्वत पुरूष की उपाधी दी गई। जिन्होने पहाड़ का सिना चीर कर क्षेत्र के लोगों के लिये रास्ता सुगम बनाया था।ठीक उसी तर्ज पर बेलागंज प्रखण्ड क्षेत्र के बराबर पहाड़ी पर स्थित बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर तक जाने वाले कंटीले एवं कंकड़िले रास्ते को सुगम बनाने में लगभग बीस वर्षो से लगे है बाबा श्याम सुन्दर चैहान। श्याम सुन्दर दास विगत बीस वर्षों से बराबर पहाड़ी पर जाने वाले रास्ते मार्ग के निर्माण कार्य में अकेले ही लगे हैं। प्रत्येक सोमवार को वे अन्य सभी ’’सोमवारियों’’ के तरह बाबा सिद्धेश्वर नाथ के मंदिर में जलाभिषेक के बाद अपने घर नही लौटते बल्कि मंदिर तक जाने वाले दुर्गम रास्ते को सुगम बनाने में लग जाते हैं। सोमवार को वे अपने साथ दोपहर का खाना, एक खंती, एक टांगी और एक लाठी लेकर घर से आते हैं और बाबा के मंदिर में जलाभिषेक के बाद अपने काम लग जाते हैं। हर सोमवार को उन्हे बराबर पहाड़ के पश्चिम दिशा में गौ घाट से जाने वाले रास्ते में पुरे तन्मयता के साथ अपने कार्य में लगा देखा जा सकता है। 60-65 वर्ष के उम्र में भी श्री चैहान के कार्य करने का लगन और उत्साह देखते बनता है। कार्य के दौरान श्री चैहान पहाड़ पर रास्ते के आसपास सुगम और सुडौल पत्थरों की तलास करते हैं और उसे अकेले हीं लाठी और खंती के सहारे उलट पलट कर निर्माणाधिन मार्ग के पास लाकर स्थपित कर देते हैं। वर्तमान में उनके द्वारा निर्मित रास्ते को देखकर आश्चर्य होता है कि 60-65 वर्षिय वृद्ध द्वारा पत्थरों को बिना तोड़फोड़ किये और प्राकृतिक अवस्थियों को बगैर छेड़छाड़ किये पत्थरों को कैसे सिंढ़ी का रूप् दिया गया है। पिछले कुछ वर्षों से श्री चैहान के मेहनत और लगन को देखकर सोमवारी के रूप में आने वाले शिव भक्त भी उनका सहयोग करने लगे हैं। वही कुछ आर्थिक रूप से सवल भक्त रास्ता बनाने के लिये सिमेंट का भी दान देना शुरू किया है। सिमेन्ट कार्य के बाद तो रास्ता पीसीसी को भी मात करता दिखता है। पहले तो श्री चैहान द्वारा बनाये गये रास्ते वरसात में क्षय हो जाते थे। पर सिमेन्ट कार्य के बाद उसका भी डर खत्म हो गया है। पंद्रह से बीस साल के अथ प्रयास के बाद श्याम सुन्दर चैहान लगभग चार किलोमिटर के दुर्गम रास्ते को सुगम बनाने में सफलता हासिल कर लिया है। मगर उनका कार्य निरंतर जारी है। श्याम सुन्दर चैहान जिले के बेलागंज प्रखण्ड के भलुआ गांव के निवासी हैं। सामान्य परिवार में जन्में श्री चैहान मिटटी काटकर अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं। उधर गहलौर घाटी में स्व दशरथ मांझी पथर को तोड़कर रास्ता बनाया था। इधर श्याम सुन्दर चैहान पत्थरों को जोड़कर रास्ता बनाया। वो भी बिलकुल अकेले।

क्या कहते हैं श्याम सुन्दर चैहान- उनके जुनुन के बारे में पुछे जानें पर श्री चैहान बतातें हैं कि मै बचपन से बाबा सिद्धेश्वर नाथ का भक्त हुॅ। गौ घाट से चढ़ने का रास्ता अति दुर्गम था। मंदिर तक जाने में पांव में छाले पड़ जाते थे, पत्थर में लटक कर उपर चढ़ना पड़ता था। रास्ते में कंटिली झाड़ियों का अम्बार था। जिससे मंदिर तक पहुंचने वाले शिव भक्तों को काफि कठिनाई का सामना करना पड़ता था। बाबा सिद्धेश्वर नाथ के प्रेरणा से शिव भक्तों के लिये रास्ता बनाने का निर्णय लिया। और बाबा के कृपा से सफलता भी मिली है। अब जीवन के कुछ वसंत बाकी रह गये हैं जिसे बाबा भोले नाथ एवं उनके भक्तों के सेवा में समर्पित कर दुंगा।

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