डेस्क : झारखंड में बंद निगमों के कर्मचारियों की 200 करोड़ की देनदारी के लिए बिहार अपनी 1200 करोड़ की संपत्ति तक छोड़ने को तैयार है. हालांकि, झारखंड ने इसे मानने से इन्कार कर दिया है. कहा है कि कर्मचारियों के महासंघ को सबसे पहले दोनों राज्य 20-20 करोड़ जमा करें इसके बाद उस मामले में आगे बात की जायेगी. बिहार इसके लिए अलग से पैसा देने को तैयार नहीं है. वह चाहता है कि हमारी हिस्सेदारी हमारी संपत्ति के मूल्य में से ले ली जाये.
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बिहार सरकार ने हाल ही में सर्वेक्षण में पाया कि उसकी झारखंड में करीब 1200 करोड़ की जमीन है. बिहार री ऑर्गनाइजेशन एक्ट की धारा 43 के तहत जहां जिसकी संपत्ति है, वह उसकी हो जायेगी. इसे झारखंड उद्योग विभाग स्वीकार कर रहा है,लेकिन वह इसी एक्ट की धारा 65 को स्वीकार नहीं कर रहा है, जिसके तहत देनदारी भी संबंधित राज्यों की होगी. इस संदर्भ में उसका कहना है कि इसमें संशोधन किया जाना चाहिए. फिलहाल कोर्ट के आदेश पर तय किया गया कि दोनों राज्य 20-20 करोड़ रुपये जमा करें. बिहार सरकार इसके लिए अपने तर्कों के साथ सहमत नहीं है. हालांकि, उसके अफसर इसी हफ्ते चर्चा के लिए रांची जा रहे हैं. बिहार और झारखंड के बीच अटके इस विवाद में करीब एक हजार से अधिक कर्मचारियों के वेतनादि का भुगतान लंबित है. इनकी देनदारी करीब 200 करोड़ की है.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बिहार सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जायेगी. गौरतलब है कि इससे पहले बिहार और झारखंड ने एक मसविदा तैयार किया था कि झारखंड बंद निगमों के कर्मचारियों की पूरी देनदारी 200 करोड़ चुकायेगा. इसके बदले बिहार अपनी पूरी 1200 करोड़ की संपत्ति का स्वामित्व झारखंड को सौंप देगा. सैद्धांतिक तौर पर इस पर सहमति भी हो चुकी थी, लेकिन हाल में झारखंड ने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया.