दरभंगा : डीएमसीएच( दरभंगा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल) में अगले 2 से 3 महीने में आई बैंक में कार्निया प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कवायद तेज हो चुकी है. इसके मद्देनजर सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के 2 सदस्यीय टीम ने आई बैंक का जायजा लिया. टीम में विभाग के निदेशक प्रमुख डॉ तपेश्वर प्रसाद एवं एसपीओ (अधापन) डॉ हरिशचन्द्र ओझा शामिल थे. दोनों अधिकारियों ने आई बैंक में पहुंचकर उपकरणों व संसाधनों का जायजा लिया. इस दौरान टीम ने नेत्र विभाग के अध्यक्ष डॉ अल्का झा से बात कर विस्तार से जानकारी भी ली.
- अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राजेंद्र कर्ण मनोनीत
- एडीएम नीरज दास की अध्यक्षता में जिला स्थापना दिवस को लेकर बैठक
- जेडीयू नेता राजेश्वर राणा ने तेजस्वी यादव की घोषणा पर बोला हमला
- 2025 में जनगणना, बिहार में तैयारी शुरू
- अपने घरों तक रास्ता से वंचित परिवारों से मिले जेडीयू नेता राजेश्वर राणा, भगता बांध पर सड़क निर्माण का दिए आश्वासन
बिहार मेडिकल सर्विस एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) की ओर से आई बैंक में प्रयुक्त होने वाले कई उपकरण पहले ही मुहैया करा दी गयी है. इसके तहत स्टेप्लर माइक्रोस्कोप, हैवी बटन, माइनर सर्जरी, लैंप, कानियल बटन, आई स्ट्रूमेंट आदि उपकरण उपलब्ध करा दी गयी है. वहीं अन्य आवश्यक उपकरण अभी आना बाकी है.
कार्निया किया जायेगा संग्रहित
कार्निया प्रत्यारोपण में मरीज के खराब और अपारदर्शी आंख के कार्निया को निकालकर स्वस्थ एवं पारदर्शी कार्निया लगाया जाता है. प्रत्यारोपण के लिए कार्निया आई बैंक से प्राप्त होता है. यह आई बैंक नेत्रदान के इच्छुक लोगों से उनकी मृत्यु के पश्चात छह घंटे के भीतर कार्निया एकत्रित किया जाता है. आई बैंक में कार्निया की जांच होती है, तथा उसे एक निश्चित अवधि के लिए संचय किया जा सकता है.
कार्निया प्रत्यारोपण के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
प्रत्यारोपण का निर्णय डॉक्टर मरीज के आंखों की स्थिति एवं स्वस्थ कार्निया की उपलब्धता के आधार पर करते हैं. डोनर कार्निया की कमी होने की स्थिति में सर्जरी में विलंब हो जाता है. कार्निया प्रत्यारोपण सर्जरी की सफलता के लिए आंखों के पर्दे रेटीना एवं आंख की नस का स्वस्थ होना अनिवार्य है. अन्यथा ऑपरेशन का लाभ नहीं मिलता. कार्निया प्रत्यारोपण एक जटिल प्रक्रिया है एवं ऑपरेशन के बाद रोशनी में धीरे- धीरे सुधार आता है तथा मरीज को नियमित जांच की जरूरत पड़ती है. डोनर कार्निया किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर का अंग होता है. इसलिये प्रत्यारोपण के बाद रोगी में उसे अस्वीकार करने की संभावना होती है. इस स्थिति में डॉक्टर के परामर्श के बाद मरीज को लंबे समय तक बूंद की दवा आई ड्रॉप का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.
नेत्र दान महादान
डॉ आरआर प्रसाद अधीक्षक डीएमसीएच ने बताया कार्निया प्रत्यारोपण शरीर के अन्य अंगों के प्रत्यारोपण की तुलना में सबसे ज्यादा किया जाने वाला एवं सबसे सफल प्रत्यारोपण हैं. प्रत्यारोपण का कार्य नेत्रदान के लिए इच्छुक लोगों से मरणोपरांत एकत्रित किया जाता है. एक व्यक्ति के द्वारा दान की गई कार्निया 2 नेत्र बाधित लोगों की जिंदगी में रोशनी ला सकती है. इसलिये नेत्र दान को महादान की संज्ञा दी जाती है. ऐसे व्यक्ति जिन्होंने नेत्रदान का संकल्प किया है उनकी मृत्यु के पश्चात उनके नेत्र संग्रहित किए जाते हैं. आई बैंक में उसी नेत्र को नेत्र बाधित मरीजों में प्रत्यारोपित किया जाता है.जल्द ही डीएमसीएच परिसर में आई बैंक शुरू होने की संभावना है. इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग की ओर से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के तहत पटना से दो अधिकारियों ने नेत्र बैंक का जायजा लिया है.