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उ०प्र० :: बख्शी का तालाब में हो सकता है त्रिकोणात्मक मुकाबला।

upलखनऊ  राज प्रताप सिंह (उ०प्र०) – बख्शी का तालाब विधानसभा क्षेत्र में भाजपा, बसपा एवं सपा द्वारा अपने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए जाने के बाद क्षेत्र में सियासी हलचल तेज हो गई है। चुनावी। समर में कूदे पूर्व मंत्री नकुल दुबे को इसी तरह अगर सर्व समाज का सहयोग मिलता रहा तो वो दिन दूर नहीं की वे एक बार फिर क्षेत्र के विधायक बनकर बख्शी का तलाब विधानसभा क्षेत्र के विकास को पुनः गति देंगे। राजनैतिक जानकारों के अनुसार बसपा सरकार में रहे काबीना मंत्री नकुल दुबे वर्ष 2007 में भाजपा प्रत्याशी गोमती यादव को पराजित कर विधायक बने थे और विधायक बनने के तत्काल बाद मायावती ने नकुल दुबे को नगर विकास सहित 8 प्रमुख विभागों का कैबिनेट मंत्री बनाया था। नकुल दुबे मंत्री होने के बावजूद भी विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच रहते हुए क्षेत्र के कार्यों को लगातार गति देते रहे। 2007 में भाजपा प्रत्याशी गोमती यादव चुनाव हार जाने के बाद 2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा पार्टी छोड़कर सपा पार्टी में शामिल होकर उस समय चल रही सपा की लहर में तत्कालीन विधायक एवं कैबिनेट मंत्री नकुल दुबे को मामूली मतों से हराकर विधायक तो बन गए लेकिन सपा सरकार में मंत्री बनने का सपना साकार ना हो सका वर्ष 2007 में नकुल दुबे चुनाव तो नहीं जीत सके मगर उन्होंने मुख्य मुकाबले में रहकर एक इतिहास लिख डाला था इस बार भी 23 लोगों को छोड़कर ज्यादातर रणनीतिकार नकुल दुबे को जिताने का भरकस प्रयास कर रहे हैं यदि भाजपा ने अपने चुनावी राजनीति में कोई बदलाव नहीं किया तो नकुल दुबे का जीतना पैमाना जा रहा है। क्योंकि नकुल दुबे बसपा व गोमती यादव सपा कांग्रेस गठबंधन तथा भाजपा के वी उसी प्रकार होता नजर आ रहा है जिस प्रकार गत 5 वर्ष पूर्व सपा बसपा एवं भाजपा के बीच हुआ था। जीत पक्की मानकर चल रही बसपा दूसरे नंबर पर खिसक गई थी। लेकिन चुनाव हार जाने के बाद भी नकुल दुबे जहां पूरे 5 वर्ष क्षेत्र में जनता के दुख दर्द में लगातार खड़े रहे वही सपा के सिंबल से चुनाव जीतने के बाद गोमती यादव पासवर्ड क्षेत्र में जनता के बीच कभी दिखे ही नहीं। भाजपा प्रत्याशी अविनाश त्रिवेदी एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव जीत जाने का सपना लेकर चुनाव मैदान में कूदकर अपना भाग्य अजमा रहे हैं लेकिन वह क्षेत्रीय वरिष्ठ एवं युवा कार्यकर्ताओं को ही अपने पाले में नहीं खींच पा रहे हैं क्योंकि उनको भाजपा कार्यकर्ताओं पर ज्यादा भरोसा ही नहीं है जिससे उन्हें जगह जगह पर अपने के कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है वही सपा व कांग्रेस के गठबंधन सिर पर चुनाव लड़ रहे गोमती यादव क्षेत्र के पूर्वी एवं मौजूदा ग्राम प्रधानों तथा क्षेत्र पंचायत सदस्यों के सहारे चुनाव जीतने का प्रयास कर रहे हैं किंतु वर्ष 2012 में चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र में जनता के बीच में दिखना और पूरे 5 साल अपने खास लोगों के कार्य करने से उन्हें क्षेत्र में भी जनता द्वारा कम पसंद किया जा रहा है लेकिन सपा पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं दो बार महोना विधानसभा से विधायक रहे राजेंद्र प्रसाद यादव को इस बार डी सपा से टिकट कट जाने से नाराज हो कर भी सपा से टिकट कट जाने से नाराज होकर राजेंद्र प्रसाद यादव ने लोकदल की सदस्यता ग्रहण कर लोकदल से चुनावी रण में कूद पड़े।
राजेंद्र प्रसाद यादव ने 1993 में देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह तथा वर्ष 2002 में बीजेपी प्रत्याशी गोमती यादव को पराजित किया था इस बार लोकदल से चुनाव मैदान में राजेंद्र प्रसाद यादव के कूदने से सपा का वोट बैंक दो हिस्सों में बट जाने की संभावना जताई जा रही है। सपा कांग्रेस गठबंधन वह बसपा के साथ-साथ ही भाजपा प्रत्याशी को भी कम आंकना भी बेईमानी होगा। लेकिन भाजपा ने कई जनाधार वाले नेता नहीं ला सकी जिसका फायदा भी बसपा को ही मिलता नजर आ रहा है ।आखें परिणाम किसके पक्ष में जाएगा या तो आने वाला समय ही बताएगा फिलहाल नकुल दुबे, गोमती यादव और अविनाश त्रिवेदी के बीच त्रिकोणीय संघर्ष के आसार नजर आ रहे हैं।

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