इटावा (डॉ एस बी एस चौहान) : जनपद की तहसील व विकासखंड चकरनगर के राजस्व गांव खिरीटी का मजरा ककरैया जहां पर मूल रूप से एक ही जाति के लोग केवट वर्ग रह रहा है। यहां केवटों की जीविकोपार्जन हेतु सिर्फ मजदूरी व बान बनाकर बेचना ही एक व्यवसाय शुरू से चला आ रहा है बान बना कर मंडी तक ले जाना या गांव के पास पड़ोस में बेच देना और उनसे धन अर्जन कर परिवार का भरण पोषण करना उनकी दिनचर्या है।
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शर्मनाक बात तो उस समय नजर आई कि जब सरकार के द्वारा आवास बनवाने के लिए धन उपलब्ध कराए जाने की योजना गांव में प्रवेश कराई गई पर रहस्य क्या है इसको जानने के लिए जब हमारे संवाददाता ने मौके पर पहुंचकर देखा तो पाया यहां के बेहद गरीब जो झोपड़ियों में सर छुपा कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं जिनके पास धन दौलत लाखों कोस दूर तक नहीं दिखाई दे रही है।
सरकार धन उडे़ल दोनों हाथ उछाल कर गांव के समग्र विकास की बात हेतु उपाय किया जा रहा है तो वहीं पर ग्राम प्रधान व उसके गुर्गें के द्वारा यहां तक उत्पीड़न किया जा रहा है की 40000 की किस्त में ₹30000 अपनी पॉकेट में रख लेना और उसके बाद यह धमकी देना कि तुम्हारे खिलाफ नोटिस आ रहा है कॉलोनी तुम्हारी काट दी गई है अब दूसरी किस्त प्राप्त नहीं होगी।
लाभार्थी प्रधान का चक्कर भरते हैं। प्रधान उल्टा हडकाता है पैसा मिल नहीं रहा है। आवास पटने के लिए अधूरे पड़े हुए हैं इतना इन उपभोक्ताओं के पास पैसा नहीं है कि यह अपनी छत को अपने पैसे से ढ़लवा पाएं।
प्रधान देने को तैयार नहीं है अब आखिर होगा क्या ? यहां इस बात का जिक्र करना भी अतिशयोक्तिपूर्ण न होगा कि जनपद के मुख्य विकास अधिकारी राजा गणपति आर व जिलाधिकारी जितेंद्र बहादुर सिंह दिन और रात पात्रों तक पहुंचाने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं लेकिन उनके मातहत कर्मचारी बेखौफ योजनाओं में पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। अब देखना यह है कि यह गांव ककरैया में अधूरे पड़े आवास पूरे होंगे या यूं ही खंडहर में तब्दील हो जाएंगे।