राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। सीएए के विरोध में 19 दिसम्बर को तोड़फोड़ और आगजनी करने वाले अपनी सम्पत्ति नहीं बेच सकेंगे। जिला प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी है। प्रशासन के अनुसार आरोपियों में से दोषी पाए गए लोगों की सम्पत्तियों पर राज्य सरकार का दावा होगा।
एडीएम कोर्टों से हिंसा-आगजनी के दोषी पाए गए लोगों की फोटो वाली होर्डिंग भी इसी क्रम में लगाई गई हैं। इसके पीछे कारण यह है कि कोई इनकी सम्पत्ति न खरीदे। क्योंकि फिलहाल उनकी सम्पत्तियों पर सरकार का दावा है। डीएम का कहना है कि विधिक रूप से कोर्ट के आदेश की उद्घोषण को सभी उद्देश्यों के लिए न्यायिक निर्णय का सार्वजनिक प्रकाशन माना जाता है।
याचिका खारिज: हिंसक प्रदर्शन में सार्वजनिक और निजी सम्पत्ति की क्षति के लिए जिम्मेदार लोगों को पहले नोटिस भेजा गया। इसके बाद कुछ लोगों ने नोटिस के खिलाफ होईकोर्ट में अपील की। प्रशासन के अनुसार याचिका संख्या 3714 (एमबी) 2020 की समीक्षा के बाद होईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
नहीं की धनराशि तो कुर्की होगी: एडीएम टीजी, एडीएम सिटी पश्चिम और एडीएम सिटी ईस्ट की कोर्ट ने 57 लोगों को दोषी माना गया। इनसे एक करोड़ 55 लाख 62 हजार 537 रुपए की वसूली की जानी है। कोर्ट के आदेश के 30 दिन के अंदर धनराशि जमा करनी होगी। नहीं तो दोषियों की सम्पत्ति कुर्क की जाएगी।
दिल्ली में हुआ दंगा साजिश : मौलाना जवाद दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि दंगों में आरडीएक्स और डायनामाइट का प्रयोग किया गया। दंगों के बाद से सैकड़ों की संख्या में लोग पलायन कर चुके हैं। यह बात मौलाना कल्बे जवाद ने प्रेसवार्ता के दौरान कही। मौलाना ने उच्चतम न्यायालय की निगरानी में दंगों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
कहा कि जांच के बाद अगर मुजरिमों को सजा मिलती है तो हम समझेंगे कि सरकार दंगों में शामिल नहीं थी और अगर मुजरिमों को सजा नहीं हुई तो इसका मतलब दंगाइयों को सरकार का साथ मिला हुआ था। लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शन के संबंध में प्रशासन की ओर से शहर में लगायी गयी होर्डिंग को लेकर उन्होंने कहा कि कानूनी लड़ाई लड़नी चाहिए। इस तरह वसूली की कार्रवाई पर कई जिलों में न्यायालय रोक लगा चुका है। उन्होंने कहा कि लोगों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने को तैयार हैं।