डेस्क : टीकू टॉक की यात्रा अररिया प्रखंड के गर्ल्स आइडियल अकेडमी में पंहुची. एस.एन.सी.यू और नियमित टीकाकरण के बारे में जन जागरूकता को बढाने के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार, यूनिसेफ ,इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स, बिहार शाखा के द्वारा रेडियो मिर्ची के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग 500 बच्चों, शिक्षकों, और स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया.
हिमांशु शर्मा, जिलाधिकारी, अररिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एक बच्चे का जीवन बचाने के लिए टीकाकरण बहुत जरूरी है। इसके लिए सरकार काम कर रही है लेकिन यह केवल स्वास्थ्य विभाग और सरकार कि जिम्मेदारी नहीं है. यह माता, पिता, अभिभावक और समाज की भी जिम्मेदारी है कि सभी बच्चों को स्वस्थ्य और सुरक्षित रखने के लिए उनके पूर्ण टीकाकरण का ध्यान रखे बीसीजी के टीके का कवरेज यहाँ 90 से 95 % तक है पर सम्पूर्ण टीकाकरण कि स्थिति में यह कम हो जाता है.
अररिया में 75 % टीकाकरण होता है लेकिन हमारा लक्ष्य उसे 100 % तक पहुंचाना है। सारे टीके बीमारियों से बच्चों को सुरक्षित करती है। प्रति वर्ष भारत में 10,000 बच्चे अंधे जन्मते है क्योंकि उन्हें रूबेला का टीका नहीं लगा रहता है।
इस अवसर पर बोलते हुए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. कृष्ण कुमार कश्यप ने कहा कि 15 जनवरी से सरकार एम.आर. यानि मीजल्स के साथ रुबैला के टीकाकरण की शुरुआत कर रही है. ये नौ महीने से लेकर पंद्रह साल तक के सभी बच्चों को मुफ्त दिया जायेगा . यह अभियान विशेष तौर पर स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों और स्वास्थ केन्द्रों पर लगाया जायेगा | प्रति वर्ष भारत में 10000 बच्चे अंधे जन्मते है क्योंकि उन्हें रूबेला का टीका नहीं लगा रहता है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि सभी बच्चों को ये टीका लगे ताकि रुबैला जैसे खतरनाक संक्रमण से भी बच्चों को बचाया जा सके |
इंडियन अकादमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स बिहार शाखा के उपाध्यक्ष डॉ निरंजन कुमार अग्रवाल ने टीकाकरण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बिहार में जन्म से 5 साल तक के 1000 जीवित जन्म लेने वाले बच्चों में से 43 बच्चे पहले साल ही मर जाते है। जिसमें 35 % लड़के और 51 % लड़की शामिल है। उन्होंने कहा कि जन्म से 6 महीने तक बच्चों को केवल मां का दूध देना चाहिए। मां का दूध 20 % बीमारियों से बचाती है। उन्होंने विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) के बारें में विस्तार बताया। एसएनसीयू में आज भी 35 % लड़कियां और 65 % लड़के भर्ती होते है। उन्होंने नवजात बच्चों के गम्भीर बीमारियों के 7 लक्षण भी बताया जिसके होने पर एसएनसीयू जा सकते है। एसएनसीयू में बच्चे के भर्ती होने पर मां को प्रतिदिन सरकार के तरफ से 200 रुपया प्रतिदिन मिलता है तथा एक साल तक नियमित फॉलोअप भी होता है।
कार्यक्रम के दौरान पूर्णिया के प्रसिद्ध लोकमंच कलाकार रोहितस्य पप्पू ने “ जाने कहा गए वो दिन” गाने पर सोलो परफॉरमेंस दे कर किया , अपने प्रदर्शन के दौरान उन्होंने टीकाकरण के महत्व के बारे में बताया.
रेडियो मिर्ची के आर जे अपूर्वा और गिटारवादक आयुष ने ओ री चिरैया गाने के द्वारा एसएन सीयू और लड़कियों के स्वास्थ्य के बारे में बताया. इसके बाद जिलाधिकारी महोदय ने पिन एंड बाल गेम खेल कर लोगो को सम्पूर्ण टीकाकरण का सन्देश दिया. कार्यक्रम के दौरान बच्चों सबसे बड़ा बैलून और अन्य खेलों के माध्यम से जागरूक किया गया. जादूगर ने टीकाकरण और एसएनसीयू पर आधारित जादू के खेल दिखाए। इसके अलावा उन्होनें सभी 10 बीमारियों पोलियों, टीबी, डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, खसरा, जेई, हिब औैर हेपेटाइटीस बी के बारे में अलग- अलग जादूई खेलों के माध्यम से लोगों को समझाया। साथ ही लोगों को, गंभीर रूप से बीमार नवजात बच्च्यिं को बिना किसी देर के एसएनसीयू ले जाने की सलाह दी। कार्यक्रम की शुरुआत जेबा, नाजिया, और तहसीन ने स्वागत गान से किया। इसके बाद यूनिसेफ के मीडिया सलाहकार अविनाश उज्ज्वल ने उपस्थित सभी गणमान्य का स्वागत किया।
इस कार्यक्रम में डॉ रामाधार चौधरी, सिविल सर्जन, डॉ एल पी सिंह, एसीएमओ, डॉ कृष्ण कुमार कश्यप, डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अली और एसएमसी यूनिसेफ मो मुश्ताक और गर्ल आइडियल अकादमी के निदेशक मो मुजीब के साथ ही 500 बच्चे, शिक्षक और अभिभावक उपस्थित थे। आगे इस कार्यक्रम का आयोजन जोकिहाट, फारबिसगंज और नरपतगंज में किया जायेगा.