लखनऊ ब्यूरो।रामजन्मभूमि परिसर में स्थित विवादित ढांचे के विध्वंस को लेकर सीबीआई की अदालत में चल रहे आपराधिक मुकदमे का फैसला 18 अप्रैल तक आ जाएगा। यदि यह फैसला किसी कारणों से टलता है तो सीबीआई के न्यायाधीश को पुन: सुप्रीम कोर्ट से अनुमति प्राप्त करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवम्बर 2019 को रामजन्मभूमि के स्वामित्व को लेकर चल रहे मुकदमे का फैसला सुनाया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में छह दिसम्बर 92 को हुई घटना की निंदा की और इस प्रकरण को लेकर चल रहे मुकदमे की सुनवाई कर रही अदालत के कार्यकाल को 18 अप्रैल तक विस्तार प्रदान किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई अदालत से यह अपेक्षा भी की है कि वह शीघ्रातिशीघ्र सुनवाई पूरी कर अपना फैसला भी सुनाए। उधर इस मुकदमे की तैयारी को लेकर विहिप नेतृत्व कानूनविदों से विचार-विमर्श कर रहा है।
इसी सिलसिले में अधिवक्ता परिषद के सदस्यों की बैठक रविवार को नई दिल्ली में विहिप के ही कार्यालय में तय की गई है। इस बैठक में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को भी भाग लेना था लेकिन अयोध्या प्रवास के कारण वह नहीं शामिल होंगे। फिलहाल मुकदमे की पैरवी कर रहे विराजमान रामलला के सखा त्रिलोकी नाथ पाण्डेय दिल्ली में ही मौजूद हैं। वह इस बैठक में भाग लेने के बाद 24 फरवरी को अयोध्या आएंगे।
इस मुकदमे में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष नामित हुए मणिराम छावनी के पीठाधीश्वर महंत नृत्यगोपाल दास व महासचिव चंपत राय के अतिरिक्त भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यपाल कल्याण सिंह, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा, आचार्य धर्मेन्द्र, सांसद लल्लू सिंह व ब्रजभूषण शरण सिंह एवं पूर्व सांसद व बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष विनय कटियार सहित 49 आरोपी नामजद हैं।