डेस्क : अंदौली गांव के अति प्राचीन फरही पोखर से मंगलवार की शाम मिट्टी खुदाई के दौरान भगवान लक्ष्मी-विष्णु की अतिप्राचीन मूर्ति मिली। इससे क्षेत्र में हलचल मच गई। पूजा करने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
बता दें कि करीब चार एकड़ की रकबा में फैली सरकारी फरही पोखर में मुख्य रूप से मखाना की खेती का उत्पादन होता है। बताया जाता है कि काफी साल पहले (स्पष्ट नहीं) शायद बाढ़ से पोखर की महार खत्म हो चुकी है।
- पढ़ें यह भी खबर…
- पल्स पोलियो अभियान 21 तक, एक भी बच्चा छूटे नहीं – सिविल सर्जन दरभंगा
- दरभंगा AIIMS भूमि अधिग्रहण मामले में नहीं दिया नोटिस, मुआवजा भी नहीं मिला
- शोभन बाईपास में एम्स निर्माण सीएम नीतीश की दुरगामी सोच – राजेश्वर राणा
- इंस्पिरेशन इम्पैक्ट अवार्ड से सम्मानित हुए एसआई अनूप मिश्रा अपूर्व
- राजेश्वर राणा ने घायल बाज का किया रेस्क्यू, प्राथमिक उपचार के बाद वन विभाग को सौंपा
इधर, पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण पोखर का पानी सूखने के बाद ग्रामीणों ने गहराई के उद्देश्य से भी मिट्टी की खुदाई की। इसी क्रम में मंगलवार को जमीन के अंदर से ईंट निकलना आरम्भ हुआ और बाद में एक प्राचीन मूर्ति भी निकली। इसके साथ ही लोगों में हड़कम्प मच गया। मूर्ति किस धातु की बनी है यह किसी ने भी स्पष्ट नहीं किया। लेकिन किसी विशेष धातु से मूर्ति का बना होने का अनुमान लगाया जा रहा है। क्योंकि मूर्ति की चमक लोगों को आकर्षित कर रही है।
लोगों ने इसे स्थानीय राम-जानकी मंदिर में स्थापित कर पूजा-अर्चना आरम्भ कर दिया है। कई वृद्धजनों ने बताया कि उसके पुरखे भी उन्हें बचपन में सुनाया करते थे कि किसी जमाने में अंदौली गांव में शिव सिंह नाम के कोई राजा का यहां गोदाम था जहां अपनी पत्नी के साथ भी आया करते थे। अनुमान लगाया जाता है कि यहां कोई विशेष मंदिर बनाया गया हो जो कभी किसी आपदा में ध्वस्त होकर भूमिगत हो गया हो। जानकारी के अनुसार किसी जमाने में बेनीपुर प्रखंड के घोंघेया गांव निवासी स्वर्गीय झींगुर सहनी को इसी पोखर में काफी संपत्ति मिली थी।