Breaking News

विशेष :: “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” का इतिहास, जानें कब और किसने की शुरूआत

 

डेस्क : आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। लेकिन इसके पहले क्या आपको ये पता है कि इसकी शुरुआत के पीछे भी एक महिला का ही हाथ है जिसका नाम था सर्बर मल्कियल।

सर्बर ने ही अमेरिका में महिला दिवस मनाने की वकालत की थी। उन्होंने महिलाओं के पक्ष में आवाज उठाते हुए कहा था कि उन्हें भी वोट देने का अधिकार है। उन्होंने न्यूयॉर्क और कई अन्य अमेरिकी शहरों में इसके लिए प्रोटेस्ट किए थे।

सबसे पहले 1909 में अमेरिका के न्यूयॉर्क में समाजवादी पार्टी के द्वारा महिला दिवस का आयोजन किया गया था। उस दौरान इसे 28 फरवरी को मनाया जाता था। लेकिन इसके लगभग एक शताब्दी के बाद इसे पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा। हालांकि 8 मार्च जो आज पूरी दुनिया में खूब धूमधाम से मनाया जाता है इसके पीछे आइडिया जिस महिला का था उसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं आज हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं।

थेरेसा सर्बर मल्कियल का जन्म 1 मई 1874 को रूस के बार शहर में हुआ था। उस समय वहां ऐसा दौर था कि महिलाओं के ऊपर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाते थे, यह सिससिला 19वीं सदी तक चलता रहा। मल्कियल 1891 में रूस से आकर अमेरिका में बस गई। यहां आकर उन्होंने देखा कि प्रवासी अमेरिकी महिलाओं को कई तरह के अधिकारों से वंचित रखा जाता है उन्हें काम करने नहीं दिया जाता था। यहां आकर उन्होंने जेविश मजदूर आंदोलन (लेबर मूवमेंट) का प्रतिनिधित्व किया।

वह सर्बर ही थीं जिन्होंने अमेरिका में महिला दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव रखा। कुछ समय के बाद ही वह पूरे यूरोप में फेमस हो गया। धीरे-धीरे उनके इस आंदोलन में कई अन्य संस्थाओं ने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया। वे खास तौर से महिलाओं की समानता और उनके अधिकार की लड़ाई लड़ रही थी। आने वाले समय में मल्कियल महिलाओं की एक सशक्त आवाज बन गईं।

इसके बाद बाहर से अमेरिका में आने वाली (प्रवासी अमेरिकी महिला नागरिक) महिलाओं को अमेरिका के न्यूयॉर्क में मौकरी मिलने लगी। उन्हें कई फैक्ट्रियों में काम मिलने लगा। उस दौर में पहली महिला बनी जिन्हें सोशलिस्ट पार्टी का नेता बनाया गया।1896 में उन्हें सोशलिस्ट ट्रेडर्स और लेबर अलायंस का प्रतिनिधि चुना गया। कुछ समय बाद उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका का सदस्य बन गईं।

भारत में महिला दिवस को लेकर सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। जिसमें पुरुषों की अहम भागीदारी होती है। कहने को तो भारत में पुरुष प्रधान समाज है, इस मिथक को महिलाएं अब तोड़ने लगी हैं। जिसमें पुरुषों का भी पूरा समर्थन भी इन्हें मिल रहा है। महिला दिवस कार्यक्रमों में पुरुषों की ओर से खूब हौसलाफजाई की जाती है। हालांकि मजाक में ही सही, कई पुरुष ये सवाल खड़े करने लगे हैं कि इसी तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस क्यों न मनाई जाय?

Check Also

सभी बैंक रविवार को खुले रहेंगे, RBI का आदेश जारी

डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश के सभी बैंकों को 31 मार्च, 2024 को …

तेजस फाइटर जेट क्रैश, हॉस्टल पर गिरा

डेस्क। राजस्थान के जैसलमेर में सेना का जो विमान क्रैश हुआ, वो तेजस था। ये …

PM-JAY :: आयुष्मान कार्ड online Apply कर खुद से बनाएं, ऐसे बनाकर करें डाउनलोड…

डेस्क। आयुष्‍मान भारत योजना को पीएम जन आरोग्य योजना के नाम से भी जाना जाता …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *