दरभंगा (विजय सिन्हा) : समस्तीपुर रेल मंडल प्रबंधक आर.के जैन ने कहा कि भारत के रेल निर्माण के इतिहास में तिरहुत स्टेट रेलवे का इतिहास सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। उन्होंने आजादी के पहले मिथिला के रेल विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि समस्तीपुर रेल मंडल 1200 कि. मि. में फैला हुआ है। समस्तीपुर रेल मंडल में प्रति दिन 50 हजार मैट्रिक टन माल की ढुलाई होती है। वहीं साल भर में करीब 4-5 करोड़ यात्री सफर करते हैं। श्री जैन गुरूवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय स्थित गांधी सदन में आचार्य रमानाथ हैरिटेज सीरीज के तहत कृष्ण प्रसाद बैरोलिया व्याख्यान में विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने इतिहास को याद दिलाते हुए कहा कि मिथिला का रेल विकास एक सुंदर कहानी जैसी है। जो इतिहास के पन्नों में अंकित है। उन्होंने कहा कि 10 फरवरी 1874 को विस्टर्न स्टिंग्सन के पास एक पत्र आया। जिसमें लिखा था कि अपने इंजीनीयर्स, घोड़े, आदमी और सभी सामान के साथ बाढ़ पहुंचे और 44 माइल लम्बे दरभंगा तक रेलखंड का निर्माण करें। वह अगले दिन ही सभी अधिकारी के साथ बाढ़ के लिए निकले। 19 फरवरी को सभी अधिकारी और सामान के साथ गंगा पार कर पहुंच गये और उसके बाद इतिहास का अध्याय लिखा गया। गंगा पार करने के बाद मिस्टर स्टिंग्सन चलते गये और सर्वे कर एलिंगमेंट तय करते चले गये। उकने साथ करीब 1 हजार से ज्यादा मजदूर काम करते चले गये।
आगे बढने पर उन्हें एहसास हुआ कि आगे चार से पांच नदियां हैं। जहां पुल का निर्माण कराना जरूरी है। सेपर्स की दो कम्पनी अगले चार दिनों के अंदर पुल का िनिर्माण कार्य शुरू कर दिया। रिकॉर्ड समय में 15 अप्रैल को पहली इंजन दरभंगा पहुंची। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल के इतिहास में इतने कम समय में 55 माइल रेलखंड का निर्माण इतिहास के पन्ने में दर्ज है। बतौर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि मिथिला में हुआ रेल विकास प्रसंशनीय है। मिथिला का इतिहास देखने से लगता है कि यह इलाका किसी भी नजर में पिछड़ा हुआ नहीं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अवकाश प्राप्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी गजानंद मिश्र ने की। कार्यक्रम का संचालन संतोष कुमार और धन्यवाद ज्ञापन अभय अमन सिंह ने किया।
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