पटना (संजय कुमार मुनचुन) : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यूपी के सीएम को लॉकडाउन के नियमों और उद्देश्यों का पाठ पढ़ाते हुए कह रहे थे कि उन्हें कोटा में फँसे छात्रों को वापस लाने के लिए बसों को अनुमति नहीं देनी चाहिए थी यह मर्यादा के विरुद्ध है।
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वहीं दूसरी तरफ़ अपने समर्थक विधायक को गोपनीय तरीक़े से उनके बेटे को वापस लाने की अनुमति दे रहे थे। बिहार में ऐसे अनेकों VIP और अधिकारियों को पास निर्गत किए गए। बिहार सरकार द्वारा प्रभावशाली ख़ास लोगों के बच्चों को चुपचाप बिहार में बुलाया गया। जब साधारण छात्रों और आम बिहारवासियों के बच्चों की बात आयी तो मर्यादा और नियमों का हवाला देने लगे।
इसलिए हम लगातार सरकार से सवाल कर रहे है क्योंकि हम सत्ता में बैठे लोगों की दोहरी नीति से अच्छी तरह वाक़िफ़ है। महामारी और विपदा की घड़ी में भी ये लोग आम और ख़ास का वर्गीकरण कर राजनीति कर रहे है। ग़रीबों के साथ अन्याय क्यों? मज़दूरों के साथ बेरुख़ी क्यों? अब सरकार का असली चेहरा लोगों के सामने आ रहा है। – तेजस्वी यादव