डेस्क : अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के तत्वावधान में मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर एक दिवसीय विशाल धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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कोरोना संक्रमण के लिए निर्धारित मानकों का पालन करते हुए ब्रजस्थ मैथिल इंजीनियर राजीव शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में विचार रखते हुए संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए मिथिला राज्य का गठन एकमात्र समाधान है। उन्होंने मिथिला के भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक मखान का जीआई टैग मिथिला मखान के नाम करने, मिथिला में हाईकोर्ट के स्पेशल बैंच की स्थापना सहित नई शिक्षा नीति के तहत तकनीकी भाषा के रूप में मैथिली को शामिल किए जाने की दिशा में ओछी राजनीति करने से बाज आने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार को सचेत किया।
मौके पर समिति के अंतर्राष्ट्रीय संयोजक प्रो अमरेंद्र कुमार झा ने कहा कि समिति मिथिला की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, साहित्यिक और भाषाई क्षेत्र के समग्र विकास के लिए मिथिला के सड़कों से लेकर संसद तक आंदोलन चलाती आ रही है और पृथक मिथिला राज्य के गठन तक यह अभियान अनवरत चलता रहेगा ।
पूर्व सांसद महाबल मिश्र ने कहा कि बाढ़ के कहर और सूखे के प्रहार सहित चीनी मिल, पेपर मिल, जूट मिल आदि के यहां कबार का ढेर मात्र बने होने और शैक्षणिक संस्थानों के खस्ताहाल के कारण इस क्षेत्र से भारी संख्या में हो रहे प्रतिभा पलायन के स्थायी निदान के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन निहायत जरूरी है।
समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता इंजीनियर शिशिर कुमार झा ने समिति की प्रमुख मांगों में शामिल बाढ़ व सूखे के स्थायी निदान, आईआईटी एवं आईआईएम की स्थापना, पलायन पर रोक के लिए बंद पड़े कारखानों को चालू कर तत्काल रोजगार सृजन, मैथिली शिक्षकों की अविलंब बहाली, मिथिलाक्षर एवं मिथिला पेंटिंग सहित मिथिला के अन्य लोक कलाओं के संरक्षण व संवर्धन, मैथिली भाषा में रेडियो व टीवी पर चौबीसों घंटे कार्यक्रमों का प्रसारण, सांस्कृतिक संवैधानिक भाषा मैथिली में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा प्रारंभ किए जाने सहित मिथिला के लाल फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत केस के दोषियों को सजा दिया जाने आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला।
धरना प्रदर्शन के उपरांत हीरालाल प्रधान के नेतृत्व में पृथक मिथिला राज्य एवं अन्य मांगों से संदर्भित ज्ञापन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व दिल्ली के मुख्यमंत्री को संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल द्वारा दिया गया। धरना प्रदर्शन में मजीद आलम, आशा देवी, दिवाकांत झा, मदन कुमार झा, हनुमान झा, नंदन झा, तपन झा, सजन झा, विजय झा आजाद, कवि विमलजी मिश्रा, आचार्य संतोष झा, राजाराम दीक्षित, प्रेम शंकर झा आदि शामिल थे।