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फिर सुर्ख़ियों में के के पाठक :: भूमाफियाओं की अब खैर नहीं, सोशल मीडिया पर के के पाठक के झूठे फरमान को लेकर अफवाह

 

डेस्क। केके पाठक को जैसे ही शिक्षा विभाग से हटाकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया है। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, पाठक 1992 बैच के अधिकारी दीपक कुमार सिंह की जगह लेंगे, जिन्हें ग्रामीण कार्य विभाग में स्थानांतरित किया गया है। पाठक बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (बीआईपीएआरडी) के महानिदेशक का अतिरिक्त पदभार संभालते रहेंगे। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह को ग्रामीण कार्य विभाग में स्थानांतरित किया गया है।

के के पाठक के विभाग के बदलते ही नये वाले विभाग में चर्चाओं का बाजार गर्म है। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वे लोग अपना कागज दुरुस्त कर रहे हैं। कई अधिकारी उनके आने से पहले अपनी छुट्टी बिता लेना चाहते हैं। कईयों ने बाहर जाने की प्लानिंग कर ली है। कई अधिकारी डाटा सुधारने में जुटे हुए हैं। सोशल मीडिया पर केके पाठक को लेकर कई तरह की अफवाह फैलाई जा रही है। सोशल मीडिया यूजर्स ने लिखा है कि जमीन के दलाल और दलाल मुंशी अब विभाग छोड़कर भाग रहे हैं। कई मुंशी छुट्टी पर चले गए हैं। इसे कहते हैं अधिकारी का दहशत। केके पाठक के आते ही तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। केके पाठक छुट्टी से लौटते ही अपना पदभार ग्रहण करेंगे।

 

के के पाठक को लेकर सोशल मीडिया पर कयास लगाते हुए कई तरह के फरमान वायरल

सोशल मीडिया पर ये बात जोर-शोर से उठ रही है कि अब गरीबों की जमीन पर कोई अमीर कब्जा नहीं कर पाएगा। केके पाठक गरीबों की जमीन हड़पने वाले पर कार्रवाई करेंगे। केके पाठक खासतौर पर किशनगंज में जमीन खरीद में बड़ी गड़बड़ी पर निगाह डालने वाले हैं। केके पाठक सीमांचल के इलाके में बड़ी मात्रा में आदिवासियों की जमीनों पर भू माफिया के कब्जे को लेकर काफी चिंतित हैं। जानकारी के मुताबिक केके पाठक के राज में अब भू माफिया का राज नहीं चलेगा। जमीन दलाल अब दूसरा काम खोजने में लगे हैं। भूमि सुधार विभाग अब पूरी तरह से सुधरा हुआ नजर आएगा। वहीं दूसरी ओर कहा जा रहा है कि केके पाठक को इस विभाग में गड़बड़ी को देखते हुए ही लाया गया है। केके पाठक को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानबूझ कर इस विभाग में भेजा है।

 

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लोगों का कहना है कि केके पाठक आते ही बिहार के उन जमीनों को देखेंगे जो विनोबा भावे को भूदान में दी गई थी। जिस जमीन का बंटवारा किया गया था। उसके अलावा बिहार के कई जिलों में भूदान की जमीन पर भू माफिया का कब्जा है। मंदिर और मठ के नाम पर दान की गई जमीन को भी वे देखेंगे। साथ ही विभाग में जारी भ्रष्टाचार पर उनकी निगाह रहेगी। इसके अलावा गरीबों की जमीन पर कब्जा करने की घटनाओं में कमी आएगी। केके पाठक के आते ही जमीन के दलाल भागने लगे हैं। कई मुंशी छुट्टी पर चले गए हैं। फेसबुक पर बहुत सारे यूजर केके पाठक को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे है। लोग बोल रहे हैं कि जब तक केके पाठक जिस विभाग में रहेंगे, उस विभाग में लापरवाही और कोताही नहीं चलेगी।

 

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