बैतूल (एम0पी0 ब्यूरो)। बीती गर्मी में जलसंकट की भयावह स्थिति के बाद जागा प्रशासन जिले भर में जल संरक्षण की दिशा में युद्ध स्तर पर प्रयास कर रहा है लेकिन हैरत की बात यह कि जिला मुख्यालय से सटे कोसमी डेम से रोजाना लाखों लीटर पानी नहरों के माध्यम से बहाया जा रहा है न जल संसाधन विभाग को इसकी सुध है और न ही कोसमी जलाशय समिति को। बीते एक सप्ताह से लगातार टेमनी क्षेत्र की नहर से पानी बह रहा है और विभाग को इसकी जानकारी ही नहीं है। जिले भर में जल संसाधन विभाग, आरईएस, सिंचाई विभाग, जिला पंचायत एवं अन्य विभागों द्वारा पानी रोकने की दिशा में विभिन्न प्रयास किए जा रहे है। शहरी क्षेत्रों में भी नगर पालिका द्वारा विभिन्न अभियान बारिश पूर्व चलाए गए। बैतूल शहर में भी भीषण जल संकट की स्थिति को देखते हुए सूखे एनीकेट में गहरीकरण के अलावा तालाबों की स्व’छता, गंगू डोह का गहरीकरण एवं फांसी खदान में भी जल संरक्षण के लिए गहरीकरण किया गया।
इन सबसे परे जलाशयों में भी अधिक से अधिक जल संचय हो सके इस दृष्टि से जल संसाधन विभाग द्वारा समितियों के माध्यम से लगातार कार्य करने का दावे खोखले साबित हो रहे है। कोसमी जलाशय की नहरों से बीते एक सप्ताह से पानी बह रहा है लेकिन इस संबंध में न विभाग कोई कदम उठा रहा है और न ही कोसमी जलाशय समिति ही गंभीर है। ऐसी स्थिति रही तो जलाशय पूरी तरह खाली हो जाएगा। बस थोड़ा सा लिकेज है गेटकोसमी जलाशय का पानी लगातार सात दिनों से नहरों के माध्यम से बह रहा है इसे विभाग द्वारा जरा सी परेशानी बताया जा रहा है। सांझवीर टाईम्स द्वारा जब जल संसाधन विभाग के कार्यालय में इस संबंध में जानकारी के लिए फोन किया तो कर्मचारी द्वारा फोन पर कोसमी जलाशय के गेट का जरा सा लीकेज होने की जानकारी दी। जबकि स्थिति यह है कि लगातार हजारों लीटर पानी प्रतिदिन नहरों से बह रहा है। जिसे विभाग द्वारा जरा सा लीकेज बताया जा रहा है वास्तव में उसमें शीघ्र सुधार नहीं किया गया तो गंभीर समस्या हो सकती है। इधर ग्राम के किसानों की माने तो जिस तरह से नहरों में पानी छोड़ा जाता है वैसा ही पानी नहरों में बह रहा है। इस समय नहरों से बह रहा पानी किसानों के काम का नहीं है ऐसे में जो पानी नहरों में बह रहा है वह भविष्य में पानी की जरुरत होने पर किसानों को नहीं मिलेगा। नहरों की नहीं सफाई कोसमी जलाशय की नहरों में जमकर गंदगी एवं घास फूस है। नहरों की सफाई एवं मरम्मत न होने से फिलहाल नहरों से बह रहा पानी सीपेज भी हो रहा है। ऐसे हालात रहे तो नहरें भी किसानों के लिए गंभीर समस्या बन सकते है। इधर किसानों का कहना है कि नहरों में जिस तरह से पानी बह रहा है उससे यह लग रहा कि जलाशय का गेट ठीक से बंद नहीं किया गया है जिससे टेमनी क्षेत्र की नहर से लगातार पानी बह रहा है। कुछ ग्रामीणों ने विभाग को दूरभाष पर सूचना भी दी बावजूद इसके विभागीय अमला नींद से नहीं जागा। इस संबंध में बैतूल जल संसाधन विभाग के ईई आरएम कुरैशी 424352257 पर कॉल किया गया मीटिंग में होने के कारण वे चर्चा नहीं कर पाएं वहीं जलाशय की तकनीकि सुरक्षा के लिए नियुक्त उपयंत्री एसके बावरिया को उनके मोबाइल नंबर 8 3013162 पर सम्पर्क किया गया उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। जाली लगाकर ताप्ती घाट की मरम्मत खेड़ी सांवलीगढ। बारिश के दिनों में ताप्ती घाट की सडक़ों के किनारे अक्सर फिसलकर बिखर जाते थे। खेड़ी परतवाड़ा मार्ग पर आ रही इस परेशानी से पीछा छुड़ाने राष्ट्रीय राजमार्ग की ठेके पर देखरेख और मरम्मत का कार्य बीते दो वर्षों से किया जा रहा है। कार्य की घटिया क्वालिटी की वजह से सीमेंट कांक्रीट और पत्थरों की पिचिंग भी क्षतिग्रस्त हो गई। अब बार-बार लाखों की बर्बादी से बचने के लिए ताप्ती घाट की क्षतिग्रस्त किनारों पर जालियां लगाई जा रही है और जालियों के बड़े-बड़े बैग बनाकर पत्थरों से भरकर दीवार बनाई जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि जाली के बैग लगातार साइड से हो रहे कटाव और फिसलन को रोकने के कार्य करेगा, लेकिन पहाडिय़ों का फिसलना बंद नहीं हो पाया है।